

विदेह प्रस्थित है होना सबको
बैठो,खुद से कुछ बात करो।
खोलो पन्ने शुरुआत करो।I
रिस रही है तेरी जिंदगी,
पिस रही है तेरी जिंदगी,
रिस ना जाये सब बेमतलब
घिस रही है तेरी जिंदगी।
बेमतलब बोझा ढोते हो,
निराश बरबस होते हो,
निर्धारित है मंजिल तेरी
तुम एक मुसाफिर होते हो।
विशुद्ध काम करो चुन-चुनके,
अंतर्निनाद को सुन -सुनके,
परिणाम घातक अनसुनी का
पछताना फिर सिर धुन-धुनके।
जीना जीने देना सबको,
जीने का हक देना सबको,
लेके अधिक तुम क्या करोगे
विदेह प्रस्थित है होना सबको।
– डॉ.गणेश पोद्दार
रांची

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
