

गीत
ये तेरा है ये है मेरा
जाने कौन कहां है डेरा
कहने को हैं साथ सब
हैं यहीं के सब झमेले
हैं असल में सब अकेले।
ये पिता और ये हैं भ्राता
बहन मेरी ये मेरी माता
जन्म के रिश्ते आज यहां पर
हो गए जीवन के मेले
हैं असल में सब अकेले।
प्रकृति ने सांसें हैं बख्शी
बांध के तन से उसकी रस्सी
हैं चलित सब खत्म हो एकदिन
रह जायेंगे माटी के ढेले
हैं असल में सब अकेले।
आया है जो जाएगा वह
कर्मगति भी पाएगा वह
सब विधाता के हैं खेलें
भीड़ के हैं ये रेले पेले
हैं असल में सब अकेले।
– किरण मोर
कटनी

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
