काव्य : अपनी हिंदी – डॉ सुनीता जौहरी वाराणसी

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अपनी हिंदी

आओं मिलजुल कर यह अभियान चलाएं
अपनी हिंदी का हम विज्ञान बताएं ।।

संस्कृत की जनी तुम हो सुता
सब भाषा की तुम हो माता
वेद, पुराण, रस, छंद की दाता
भाव सुलभ तुम हो विज्ञाता
सिंधु से हिंदू, हिंदू से हिंदी का उत्थान बताएं ।

सहज सरल स्वाभिमान हमारा
निज भाषा निपट सम्मान हमारा
अखिल विश्व करें गुणगान तुम्हारा
एकता के सूत्र में बांधे हिंदुस्तान हमारा
सभ्यता संस्कृति की सरल पहचान बताएं ।

निज भाषा निज बोध के बल पर
हिंदुस्तान के नींव के तल पर
विश्व गुरु बन नील गगन पर
राष्ट्रप्रेम में हिय अतल पर
बन हिंदुस्तानी प्रेम का दीप दान कराएं ।

© डॉ सुनीता जौहरी
वाराणसी

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