

हिंदी हमारी पहचान
भारत की कृति है,
हमारी संस्कृति है |
हिंदी हमारी पहचान,
हिंदी हमारी शान |
अपनों में ख़ास,
उत्साह और उजास |
शब्दों का भंडार,
भावों का अंबार |
सहिष्णुता खूब दिखाती,
बहुभाषा शब्द अपनाती |
मानवीकरण जब करती,
सबके दिल में उतरती |
जादू की बात इसमें,
कुछ करामात इसमें |
एक का अनेक कभी करती,
कभी एक में ही सागर धरती |
अक्षर खेल रचती,
मात्राओं से रोचकता भरती |
लेखनी की ताकत,
नजाकत और शराफत |
आदर और सम्मान,
उदारता और स्वाभिमान |
नहीं कोई विवाद करती,
पर कारण विवाद का बनती |
राष्ट्र का गौरव कहती,
राष्ट्र से ही अपमान सहती |
जन – जन की भाषा हिंदी,
जन – जन से उपेक्षित रहती |
कोई होड़ – होड़ नहीं,
किसी पर कोई ज़ोर नहीं |
पर जागरूकता अवश्य लाना,
अपना मौलिक कर्तव्य निभाना |
एक राष्ट्र एक भाषा जरूरी,
राष्ट्रीय एकता इसके बिना अधूरी |
भारत राष्ट्र की भाषा हिंदी,
भारतीयों की अभिलाषा हिंदी |
आओ इसका मान बढ़ाएँ,
सहृदय इसे अपनाए ||
– नीतू दाधिच व्यास,यादगिर
कर्नाटक

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
