काव्य : अनमोल भाषा हिंदी – सिद्धि केसरवानी प्रयागराज

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अनमोल भाषा हिंदी

जो हम हिंदुस्तानियों की है अनोखी शान
कैसी हमारी हिंदी भाषा का हो रहा अपमान
अब भला कैसे अपने आप को देशभक्त कह पाओगे
जब अपनी ही मातृभाषा हिंदी से दूर जाओगे ll

हम नहीं कहते कि अंग्रेजी मत बोलो
लेकिन कहना है मेरा मातृभाषा से दूर मत भागो
हर भाषा का है अपने क्षेत्र में विशिष्ट पहचान
तो हिंदी का बार-बार क्यों करते हो अपमान ll

अब तो एक नयी रीति सी आ गयी
हिंदी को हिंदी के स्थान पर अंग्रेजी में लिखी जाने लगी
जिस भाषा की सम्पूर्ण जगत में हुई सराहना
वही हमारे देश में हिंदी बोलने वालो के लिए बनाई न जाने कैसी अवधारणा ll

भारत के कण कण में वास करने वाली भाषा
आज इस हिंदी को बोलने से हर कोई शर्माता
अब तो है गंभीर सोचने की बात
हम हिंदुस्तानियों को क्यों छोड़ना पड़ा हमारी संस्कृति का हाथ ll

अंग्रेजी भी बन चुकी है हमारी अनमोल भाषा
आज कल इसे सिखने की है हर किसी को अभिलाषा
बस सिद्धि की विनती है आप सबसे इतनी सी
अंग्रेज़ी को तो अपनाओ ,पर मत करो उल्लघन हिंदी की ll

सिद्धि केसरवानी
प्रयागराज

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