काव्य : हिन्दी से करो प्यार – सुदेश मोदगिल “नूर” पंचकूला हरियाणा

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हिन्दी से करो प्यार

हिन्दी से हिन्दुस्तान बना,यह वतन की असल निशानी है
हिन्दी पहचान है भारत की, सब भाषाओं की रानी है

है राजभाषा मेरे वतन की यह, हमें इसकी शान बड़ानी है
हम सच्चे हिन्दुस्तानी हैं, हम बड़े ही स्वाभिमानी है

हिन्दुस्ताँ ने अंग्रेजों की, कई सदियों सही ग़ुलामी है
आज़ादी पाने पर हमने, हिन्दी की क़ीमत जानी है

हिन्दी की बिंदी को देखो, इसकी तो शान निराली है
सच पूछो तो यह बिंदी ही, हर दिल को मोहनेवाली है

है फलक के पहलु में बिंदी, चंदा की भी यह शान बनी
नारी के माथे पे चमकी तो नारी का सम्मान बनी

अब तो हमने हर पग पग पर, हिन्दी ही बस अपनानी है
है यह तो कड़ी मुहब्बत की,जन जन की ज़ुबान पर लानी है

कितनी भाषाएँ भी सीखो, हम को तो कोई एतराज नहीं
बस इक अनुरोध है छोटा सा, अब हिन्दी सबको सिखानी है

हिन्दी भाषा हिन्दुस्ताँ की ,हिन्दी से है हमें प्यार
अब तो दफ़्तरों में भी होता,हिन्दी में ही पत्राचार

सबसे ज़्यादा राज्य हमारे, हिन्दी में सब काम करें
हिन्दी तो है मन की भाषा, हिन्दी को प्रणाम करें

हिन्दी में सब भाव उभरते,हिन्दी में ही आये विचार
पर्यायवाची शब्दों का भी, हिन्दी में मिलता भण्डार

हिन्दुस्तान देव भूमि है ,ग्रंथ भी हिन्दी में मिलते हैं
इन ग्रंथों को पढ़ने से ही सबके मन उपवन खिलते

बड़ी ही ममता भरी यह भाषा,दूरियाँ दिल के करती दूर
कवि हिन्दी में जो लिखेंते है, हो जाते है सब मशहूर

मुझको मेरे प्रभु कृष्ण ने हिन्दी में गीता लिखवाई
लगता है मुझपे प्रभु जी ने अपनी रहमत है बरसाई

सबसे मेरी विनती है,हिन्दी से तुम प्यार करो
हिन्दी बेहद प्यारी भाषा , समझो और विचार करो

सुदेश मोदगिल “नूर”
पंचकूला हरियाणा

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