काव्य : मीठी मीठी सी मेरी हिंदी – रीतागुलाटी ऋतंभरा चंडीगढ़

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हिंदी दिवस पर

मीठी मीठी सी मेरी हिंदी

मीठी मीठी सी मेरी हिंदी
जिसके माथे लगी है बिंदी।

आओ,बनाऐ जन- जन की भाषा।
समझे अपनी हिंदी की परिभाषा।

हमारी आन व शान है प्यारी हिन्दी।
सब देशो में भारत की पहचान हिन्दी।

मिला नही क्यो दर्जा राष्ट्र भाषा का।
आओ बनाये इसको हम मातृभाषा।

जन जन की है ये भारत की भाषा।
गर्व करे हम, है ये हिंदी राजभाषा।

आता माह सितम्बर हर्ष से मनाऐ।
जन जन मे समायी आओ मनाऐ।

करना हो प्यार का अहसास जो
करनी मिलन की बातें,हिंदी हो।

करना हो मनुहार या तकरार हिंदी मे।
लिखे प्रेम पत्र वो भी लिखें हिंदी में।

त्यौहार की तरह मनाऐ हिंदी दिवस।
आओ करेगे सब काम हम हिंदी में।

आओ गर्व करे हम हिंदी पर।
हिंदी मे बोले,हिंदी मे गाये सब।

हमारी माँ हमारी मातृभाषा हिंदी।
आओ जन जन की भाषा बनाऐ।

रीतागुलाटी ऋतंभरा
चंडीगढ़

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