काव्य : चुनावी चर्चा – श्रीमती श्यामा देवी गुप्ता दर्शना भोपाल

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हास्य-व्यंग्य

चुनावी चर्चा

चल पड़ी चुनावी हवा, आधी सी बहने लगी।
वादों के दरख्तों पर,मुस्कुराटें खिलने लगीं।।

रात की विरानियों में, जाम अब लगे टकराने।
मजबूरियों की सौगात पर, लगने लगे ठहाके।।

मिलने लगे आदमी को, देखने अब दिलकश नजारे।
रेलियों का हुजूम तो, कहीं भाषण और नारे।।

कुलबुलाने लगी हसरतें, अब हर उम्मीदवार की।
शहनाई सी बजने लगी, हर उम्मीदवार की।।

योजनाओं के बदले स्वरूप से,संवारा अपना रूप है।
तिलमिलाते ख्वावों ने किया इन्हें कुरूप है।।

जीत की खुशी में तिरोहित होते, इनके हर वादे।
देश की भोली जनता से,टूट जाते हैं हर नाते।।

समझ नही पाते लोग, इन बहुरूपियों के नापाक इरादे।
ठगे से देखते रह जाते हैं, भूल जाते हैं अपनी मुरादें।।

श्रीमती श्यामा देवी गुप्ता दर्शना
भोपाल मध्यप्रदेश

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