

हास्य-व्यंग्य
चुनावी चर्चा
चल पड़ी चुनावी हवा, आधी सी बहने लगी।
वादों के दरख्तों पर,मुस्कुराटें खिलने लगीं।।
रात की विरानियों में, जाम अब लगे टकराने।
मजबूरियों की सौगात पर, लगने लगे ठहाके।।
मिलने लगे आदमी को, देखने अब दिलकश नजारे।
रेलियों का हुजूम तो, कहीं भाषण और नारे।।
कुलबुलाने लगी हसरतें, अब हर उम्मीदवार की।
शहनाई सी बजने लगी, हर उम्मीदवार की।।
योजनाओं के बदले स्वरूप से,संवारा अपना रूप है।
तिलमिलाते ख्वावों ने किया इन्हें कुरूप है।।
जीत की खुशी में तिरोहित होते, इनके हर वादे।
देश की भोली जनता से,टूट जाते हैं हर नाते।।
समझ नही पाते लोग, इन बहुरूपियों के नापाक इरादे।
ठगे से देखते रह जाते हैं, भूल जाते हैं अपनी मुरादें।।
– श्रीमती श्यामा देवी गुप्ता दर्शना
भोपाल मध्यप्रदेश

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
