काव्य : मेरे मदन गोपाल – सिद्धि केसरवानी प्रयागराज

367

मेरे मदन गोपाल

हे मेरे गिरधर गोपाल
तुम्हारी लीला तो है अपरंपार
मात्र राधे-राधे बोलने से
खुल जाते हैं कृष्ण के हृदय रूपी द्वार ll

राधा हैं जिनकी प्राणप्रिया
हमने हर कदम पर नाम उन्ही का लिया
कृष्ण की भक्ति होती सफल तभी
जब लेते हैं उनसे पहले राधा का नाम सभी ll

मीरा थी कृष्ण की ऐसी प्रेम दीवानी
प्रेम में पिया जिन्होनें विष की भी प्याली
गाते गाते ‘ हरि तुम हरो जन की पीरा’
समा गई कृष्ण में उनकी मीरा ll

देवकी के गर्भ से जनमे
यशोदा के आंगन में खेले
छोटे से मुँह में दिखाया सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड
ऐसे अनुपम हैं हमारे कृष्ण भगवान ll

जब हो गई संपूर्ण सभा मुख बधिर
देखते रहे गुरुजन ऋषि तक होके अधीर
जब भरे सभा में हुआ द्रौपदी का चीरहरण
तब श्रीकृष्ण ने निभाया अपना सखा धर्म ll

भागवत गीता का सार समझाया
अर्जुन ने श्री कृष्ण के सारथी बनाया
करने धरती पर धर्म की स्थापना
श्रीहरि ने बदला स्वरूप अपना ll

सिद्धि केसरवानी
प्रयागराज

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here