

मेरे मदन गोपाल
हे मेरे गिरधर गोपाल
तुम्हारी लीला तो है अपरंपार
मात्र राधे-राधे बोलने से
खुल जाते हैं कृष्ण के हृदय रूपी द्वार ll
राधा हैं जिनकी प्राणप्रिया
हमने हर कदम पर नाम उन्ही का लिया
कृष्ण की भक्ति होती सफल तभी
जब लेते हैं उनसे पहले राधा का नाम सभी ll
मीरा थी कृष्ण की ऐसी प्रेम दीवानी
प्रेम में पिया जिन्होनें विष की भी प्याली
गाते गाते ‘ हरि तुम हरो जन की पीरा’
समा गई कृष्ण में उनकी मीरा ll
देवकी के गर्भ से जनमे
यशोदा के आंगन में खेले
छोटे से मुँह में दिखाया सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड
ऐसे अनुपम हैं हमारे कृष्ण भगवान ll
जब हो गई संपूर्ण सभा मुख बधिर
देखते रहे गुरुजन ऋषि तक होके अधीर
जब भरे सभा में हुआ द्रौपदी का चीरहरण
तब श्रीकृष्ण ने निभाया अपना सखा धर्म ll
भागवत गीता का सार समझाया
अर्जुन ने श्री कृष्ण के सारथी बनाया
करने धरती पर धर्म की स्थापना
श्रीहरि ने बदला स्वरूप अपना ll
– सिद्धि केसरवानी
प्रयागराज

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
