

हिन्दी मेरी पहचान : मेरा अभिमान
हिन्दी मेरी पहचान मेरा मस्तकस्थ गौरव अभिमान
आत्मीय बोली से करती हूँ प्रगाढ़ सम्बन्ध की बान
एशिया महा द्वीप में भारत की देवनागरी रही शान
साहित्य साहित्य की जननी संस्कृति की आन बान
परचम स्वामीविवेकानन्द ने जब विदेश में लहराया
अमर हुई दो टूक पंक्तियाँ निज गौरव मान मनवाया
खड़ी बोली होगी राजभाषा संविधानसभा का दावा
राजनीति सदा बीच में आई सपनों का चढ़ा चढ़ावा
समय दृष्टिकोण बदला अंग्रेज़ी बन गई प्राथमिकता
कुण्ठा में आकण्ठ डूबी भाषाविद की विश्वसनीयता
हावी होते स्मृति पटल पर टैगोर रोलिंग शेक्सपियर
विस्मृत हो रहे क्षणिक स्मृति से पंत और जयशंकर
दयानन्द सरस्वती मदन मोहन भारत माता के लाल
भारत में हिन्दी आन्दोलन भारतेन्दुहरिश्चन्द्र के काल
ब्रजभाषा अवधी बुंदेली संग राजस्थानी का विज्ञान
भोजपुरी मगही मैथिली क्षेत्र में हिन्दी विशेष संज्ञान
असम सौराष्ट्र हिमाद्रि केरल सौ सौ विचार विनिमय
सांस्कृतिक संस्कारित विचार भी सदा रहे हिन्दीमय
शासकों धर्म प्रचारकों और व्यापार की भाषा हिन्दी
हिन्दी ही बनी कबीर तुलसी मीरा के भाल की बिंदी
नरसी मेहता गुरु नानक ने इसी हिन्दी को अपनाया
ज्ञानेश्वर ने संस्कृतिप्रसार का सशक्त माध्यम बनाया
नहीं आँकते निमिषमात्र भी निजभाषा की कमतरता
देश देशान्तर आज अपनाते हिन्दीभाषा की गुणवत्ता
अमिट अमर साहित्य चमन में मेरी भाषा की प्रशस्ति
भाषा बोली पहचान मेरी है अस्तित्व की अभिव्यक्ति
– रंजना श्रीवास्तव
नागपुर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
