काव्य : हिंद की मैं शान हूं – सुरजीत ज़ख़्मी पुणे

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हिंद की मैं शान हूं

मैं अब हो गई जवान हूं
मैं हर एक की ज़बान हूं।

धड़कन में दिल की हिंद है
और हिंद की मैं शान हूं।

हिंदी है मेरा नाम और
मैं ही तो हिंदुस्तान हूं।

हर भाषा मेरी बहन है
पर सबकी मैं प्रधान हूं।

वो ज्ञान हो विज्ञान हो
इन सब में मैं विद्यमान हूं।

हर दिल मेरा सम्मान है
मैं ही राष्ट्रीय गान हूं।

मुझे अनपढ़ गवार न समझ
सरस्वती का वरदान हूं।

मैं अभी अभी आई नहीं
ऋषी मुनियों की संतान हूं।

हर देश है आशिक मेरा
हर देश की मेहमान हूं।

मुझ से कोई टकराये न
मैं ज़मी नहीं असमान हूं।

ज़रा गौर से देखो मुझे
मैं कितनी आलीशान हूं।

हर एक कवि के कलम की
मैं आन हूं और बान हूं

ज़ख़्मी की रचनाओं की
मैं बन गई पहचान हूं ।

सुरजीत ज़ख़्मी
पुणे

1 COMMENT

  1. सच हिंद की शान है हिंदी और जख्मी जी पुणे की शान हैं। बहुत सुंदर कविता है। जख्मीजी को बहुत बहुत बधाई।

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