काव्य : हिन्दी भारत की शान – प्रदीप ध्रुवभोपाली भोपाल

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हिन्दी दिवस पर विशेष

हिन्दी भारत की शान

हिन्दी है शान हिन्द की भारत की जान है।
अपनी ये हिन्द भूमि इससे ही महान है।

भाषा औ संस्कार है भारत वतन की ये
संस्कृति की है सहोदरा उन्नति की खान है।

दुनिया के साथ चलना हिन्दी का प्रयोग हो
लोहा जगत है मानता सबका उत्थान है।

जग अंतर्जाल की भी ये उपयुक्त भाषा है
उपयोग हिन्दी का हो इससे ही उड़ान है।

सारे प्रयोग और कार्य हिन्दी में कीजिये
ये विश्वभाषा उन्नति का पायदान है।

अमरीका ब्रिटेन हिन्दी को अपना रहे हैं आज
हिन्दी औ हिन्द शक्ति का जग में उफान है।

हिन्दी पुनीत है सरित दुनिया को जोड़ती
माध्यम ब्यापार का ग़रीबी का निदान है।

संस्कार हिन्द के युवा मन मे भी हिन्दी हो
दुनिया की दृष्टि मे हैं हम इसका तो भान है।

एक सूत्र में पिरो रही सारे वतन को ये
हिन्दी है आन बान संस्कृति औ शान है।

पश्चिम के आंग्ल दौर में अटकें न नौजवान
जानें की हिन्दी शक्ति है हिन्दी विज्ञान है।

संस्कृत हों संस्कृति में हिन्दी तो मूल है
भरपूर शब्दकोश है समृद्धवान है।

हिन्दी ये भाषा मात्र नहिं हिन्दी है आचरण
जिसकी शरण में आ रहा सारा जहान है।

प्रदीप ध्रुवभोपाली
भोपाल

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