काव्य : हिंदी – आरती श्रीवास्तव जमशेदपुर

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हिंदी

हिंदी है हमारी माँ समान
करे सदा हम इसका सम्मान
वर्णो का उच्चारण करें हम सही
राष्ट्रभाषा का मान बढ़े तभी।

हिंदी है समृद्ध भाषा
अनेक उपभाषा की ये माता
अत्याधिक हिंदी करें प्रयोग
चिट्ठी, आवेदन में हिन्दी की उपयोग।

हिन्दी से होता निजत्व का भान
यही है हमारी पहचान
है ये सौभाग्य हमारा
हिंद देश में निवास हमारा।

है जरूरी समृद्ध हो हिंदी
आखिरी आदमी तक पहुंचे हिंदी
कब तक ये राह भटके
जन जन तक ये जल्द पहुंचे।

सुभाषित है हिन्दी हमारी
दु:शासन से ये कब हारी?
है हमारी नैतिक जिम्मेदारी
हिंदी में लिखना ही समझदारी।

कसौटी पर उतरे हम खरा
हिंदी शुद्ध रहे हमारा
सुपुत्र बन हम करे प्रयास
हिंदी चमके सदा देश के भाल।

आरती श्रीवास्तव
जमशेदपुर

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