

मोबाइल यदि वरदान है तो अभिशाप भी है यह
जहां आज विज्ञान इतनी तरक्की कर रहा है कि चंद्रयान मिशन सफल हुआ । वहीं दूसरी ओर मोबाइल हाथ में आ जाने से बच्चों का पढाई से मन उब रहा है ।उन्हें सब कुछ सवालों के जवाब गुगल बता रहा है। जिस वजह से माँ बाप परिवार का महत्व बच्चों के दिमाग में ना के बराबर हो गया है।
हम विश्व भर के विषय में पलक झपकते ही जानकारी पा लेते हैं।
मोबाइल के जरिए फेसबुक या वाट्सएप पर सोशल बने हुए हैं हम सब, जो रियल लाइफ में कभी सोशल नहीं रहा वह भी फ बी पर सोशल बाते पढने और लिखने लग रहे है ।आभासी दुनिया हो गयी।हकीकत कुछ ओर है सब का, मगर सब सोशल साइट्स पर बखान कर रहें होते हैं ।
मोबाइल एक वरदान है यह अभिशाप।
जैसा कि हम सब जानते है हर आविष्कार के फायदे और नुकसान दोनों ही होते हैं, समय और जरूरत के समय विज्ञान (मोबाइल )वरदान है , लेकिन कम पढने वाले बच्चों के लिए यह अभिशाप के सिवाय कुछ नहीं हैं।
ज्ञान का खजाना भी मोबाइल ही है आज और दुरुपयोग करने वाले इससे क्राइम भी कर रहें है। यहाँ तक की बैेंक एकान्ट तक अपने कब्जे में ले लेते हैं या आई डी हैक कर ब्लेक मेल जैसे धंधे चला रहे है।
हर विषय में जानकारी देकर आपको सुदृढ़ और मनोबल भी बढाता है मोबाइल। इसकी सहायता से आप नौकरी ढूंढ सकते हैं ,अपने बिजनेस भी चला सकते हैं ऑनलाइन व्यापार की सुविधा का इस्तेमाल करके।
विभिन्न विषयों को सीखने का एक बेहतरीन माध्यम है।
हम सभी को याद है कोरोना काल में जब हरसूँ गतिविधियां रूक गई थी और ऐसा लगने लगा था कि जीवन थमा हुआ कितना सहज और सरल हो गया। जैसे हर कॉम्पिटिशन खत्म हो गया। नौकरी,व्यवसाय और पढ़ाई सब कुछ घर बैठे होने लगा तो पहनने ओढ़ने का दिखावा भी नहीं रहा!
आज भारतीय ग्रामीण डिजिटल पेमेंट जैसी सुविधाएं बरत रहा है ।जो कल्पना से परे की बात लगती थी । जैसे बैंकों में व्यक्तिगत बोझ कम होना मल्टीनेशनल कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम शुरू होने से बच्चे पेरेन्टस के पास आकर रहे , बहनों को सास ससुर को समझने का मौका मिला। ऑफिस न जाने से लोगो की तेल किराया आदि की बचत और सेहत में सुधार हो गया।
लेकिन आज का युवा तो युवा टीनएजर्स भी इसे मनोरंजन के साधन के रूप में इस्तेमाल कर अपना जीवन बर्बाद कर रहे है।
चीजें इस्तेमाल की अधिकता पे लगाम खुद ही लगा सकता है इंसान। बाकी कोई किसी को कितना समझाए नहीं मानेगा। स्टूडेंट्स पेरेन्टस,टीचर्स को अनसुना करने लगते हैं और इस बड़ा भयंकर कारण क्या हो सकता है ।हर चीज की अधिकता से बचें!
–सुनीता मलिक सोलंकी
मुजफ्फरनगर उप्र

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
