काव्य : हे वासुदेव. शत बार नमन – पद्मा मिश्रा जमशेदपुर

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हे वासुदेव. शत बार नमन

हे गुणाकार देवकीनंदन
तव जन्मदिवस, शुभ अभिनंदन
अवतरण तुम्हारा कृष्ण जगत में
शत-शत दीपों से करूं नमन
थी रात घनी कालिमा भरी
बरसा नभ उमड़े मेघ घिरी
चंचल फेनिल यमुना लहरें
उद्विग्न ह्दय बसुदेव चले
डरता मन,सुन चपला नर्तन
नभ में मेघों का कटु गर्जन
सिर पर शोभित देवकी पुत्र
शंकित है,दग्ध पिता का मन
कोमल शिशु,बरसी उपल वृष्टि
रक्षा करनी है प्राणों की
कैसे उस पार पहुंच पाऊ
तुम साथ रहो हेअविनाशी
यमुना मां थी, सुनकर पुकार
उमड़ीलहरो संग धार धार
स्पर्श किए प्रभु-दिव्य-चरण
फिर ने अवनत हो किया नमन
यमुना ने प्रभु को दिया राह
बसुदेव बढ़े, ले नवोत्साह
हे नाथ,आज शत-शत वंदन
हे बासुदेव,सौ बार नमन।

पद्मा मिश्रा
जमशेदपुर

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