काव्य : श्री कृष्ण जन्माष्टमी – आर सी यादव दिल्ली

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी

हे मधुसूदन हे बनवारी, जन-जन के हितकारी ।
हे योगेश्वर श्रीकृष्ण प्रभु, बाधा हरो हमारी ।।

मनहर मोर मुकुट सिर शोभित, मुरली की धुन प्यारी ।
पांव पैजनी, कमर करधनी, चंचल चितवन मनहारी ।।

यशोमति के वात्सल्य भाव से, ब्रज के राजदुलारे ।
ग्वाल-बाल संग खेल-खेल में,‌ क्रुर असुर संहारे ।।

श्याम वर्ण तन, रूप सलोना, लीला अद्भुत अविनाशी ।
जन उपकारी मदन मुरारी, घट घट में तुम वासी ।।

गोवर्धन धारण कर पल में, गर्व इंद्र का चूर किया ।
अनाचार-पाखंड कंस का, जग के हित में दूर किया ।।

गीता का उपदेश जगत में,‌ प्रेरक चेतक हितकारी ।
धर्म प्रवर्तक, संस्कृति रक्षक,‌ मंगलमय गुणकारी ।।

आर सी यादव
दिल्ली

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