

भगवान श्रीकृष्ण
सौभाग्य वश कृष्ण मनाऊं
इनके चरणंन शीश झुकाऊं।
क्या करूं मैं कृष्ण गुणों की महिमा
मैं कौन सा राग प्रेम का गाऊं
गोपीकाओं के प्रेम का विरह
उनके आंसु का दर्द छलकाऊं
ग्वाल-बाल संग करी जो लीला
उनका रसानुवाद सुनाऊं
क्या है राधा हृदय की पीड़ा
मैं कैसे कलम दवात दिखाऊं॥
लहर लहर जमुना की लहरें
कालिंदी के गीत सुनाऊं
शरद पूर्णिमा रात चांदनी
मंद बयार वायुमंडल में
रास रचे जहां रास बिहारी
महादेव भी बने हैं नारी
महारास की बात बताऊं
महारास की बात बताऊं॥
खग मृग पशु पंछी उस वन के
ताल ताल दे नाचे झूम के
क्या कृष्ण प्रेम की व्यथा सुनाऊं
मैं कैसे गागर में सागर भर लाऊं
गागर में सागर भर लाऊं?
छोड़ चले कृष्ण वृंदावन
किया है आज मथुरा गमन
ग्वाल बाल संग बृज की नारी
रथ के आगे बिछ गई सारी
प्रेम विवश सब सुध खो बिसराए
लिपट लिपट के प्राण गंवाए
पीछे मुड़ नहीं देखे मोहन
निर्मोही अब नाम धराए॥
चले कृष्ण अब कंस को मारने
बड़े-बड़े दानव सुधारने
राजनीति की करी तैयारी
युद्ध की नीति छिड़ी है भारी
सत्रह बार पछाड़ा जरासंध
कालयवन फिर आंख दिखाए
ब्राह्मण पुत्र को दिया जीवन दान
रण से भागे कृष्ण भगवान
रणछोड़ अब नाम धराए
मनमोहन मन मुस्काए॥
द्वारकापुरी एक नगरी बसाई
द्वारकाधीश की जय हो भारी
रुकमणी संग शादी की तैयारी
नगरी नगरी द्वार सजाए
घर घर नारी मंगल गाएं॥
कृष्ण भगवान बड़े उद्धार
सब पर लुटाते अपना प्यार॥
कौरव पांडव गाथा भारी
भाई यहां भाई पर तलवारी
धर्म अधर्म की लीला न्यारी
दुशासन ने खींची साड़ी
द्रोपति की है लाज उतारी
द्रोपती कृष्ण की शरणं पुकारे
साड़ी खींच दुशासन हारे
रो रो द्रोपति कृष्ण पुकारे
नहीं होने दी नारी उघारी
युद्ध छिड़ा है भारी आज
कृष्ण राखे पांडव की लाज
अधर्म पर धर्म का परचंम लहराया
देख जगत सारा हर्षाया॥
गांधारी को सो पुत्रों का सन्तापं सताए
ममता विवश वह बुद्धि गवाएं
भगवान श्री कृष्ण को ही
श्राप दे आए
जैसे मैंने सो पुत्र गवाएं
तुम भी ऐसे रिक्त हो जाओ
श्री कृष्ण चंद्र तो लीला धारी
हंसकर मानी बातें सारी
अपनी लीला स्वयं दिखाए
हरि हृदय मंद मुस्काए॥
कैसे जाने इनका विस्तार
कोई न पाया इनको पार॥
एक बात मैंने निश्चय जानी
यह तो हैं अंतर्यामी
यह तो हैं घट घट के वासी
(रेनू) कृष्ण चरण की दासी
जो कोई इनको हृदय लगाए
यह भी उनको अपनाएं
कृष्ण चरण में शीश नवाऊं
नित चरणों में ध्यांन लगाऊं
पार न पाए इनकी माया
बनी रहे सदा इनकी की छाया
बनी रहे सदा कृष्ण की छाया॥
– रेणु गौड़
गांव मतलोडा
जिला हिसार हरियाणा

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
