काव्य : शिक्षक – डॉ ब्रजभूषण मिश्र भोपाल

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शिक्षक

शिक्षक ,बंधता कहाँ
किसी शब्द में
वह परिलक्षित होता है
व्यक्तित्व में, शिष्य के

शिष्य की शिक्षा में
उसके ज्ञान में
उसके आत्म विश्वास में
उसके चेहरे की दमक में

शिक्षक दिखता
शिष्य की बात में
अचार ,व्यवहार में
उसके समस्त संस्कार में

शिक्षक,समाज सुधारक होता
प्रखर,विचारक होता
ज्ञान सम्पूर्ण शिष्य में भरता
ब्रज,तभी चैन की नींद वो सोता

डॉ ब्रजभूषण मिश्र
भोपाल

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