काव्य : गुरुवर छाया – मोहन सिंह जाटव पगारा,जिला गुना

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गुरुवर छाया

गुरुवर छाया तरुवर सामना
नित्य नए गुणगान करना।

आशीष सर्वदा शीश प्रदना
गुरु चरणों में शीश झुकाना।

ज्ञान सभी को दिया सामना
भाईचारे की नीव जमाना।

सदा उन्नति का पथ दिखलाना
नित्य नई ऊँचाई पर ले जाना।

दिव्य ज्ञान चहुँ औऱ फैलाना
सत्य मार्ग पर हमकों चलना।

फूलों की तरह देखभाल करना
खुशबू की तरह हमकों महकना।

मात पिता प्रभु से मिलना
सब गुरुवर के चरणों में झुकना ।

मोहन सिंह जाटव
पगारा,जिला गुना

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