

गुरु
जीवन मे समय से बड़ा गुरु नहीं
बुरा हुआ तो सबक सीखा जाता
अपने अन्दर झांकने का झरोखा
खोल जाता ,
कुछ कार्मिक चुकाने को
कुछ खुद को संवारने को
अकेला ही कर जाता
अच्छा हुआ तो सबक सीखने के
पुरस्कार दे जाता,
मुखौटे उतर जाते
कुछ लग जाते ,
जीने के तरीक़े
बदल जाते ,
आदतें बदल जाती ,
नए अध्याय जुड़ जाते,
पुराने पन्ने निकल जाते
नयी किताब से
हम कहाँ सीख पाते खुद से
सीखने का हुनर,
प्रकृति को
आना पड़ता है,
इंसानो के बीच
जीवन का गुरु बनने को,
नए नए पाठ पढ़ाने को I
–रानी पाण्डेय,
रायगढ छत्तीसगढ
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देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
