

गुरू महिमा
विधा.. दोहा छंद..
गुरूजी देते ज्ञान है,महिमा अपरम्पार।
वंदन मैं करती रहूँ, कीजो अब उपकार।
बसते गुरू मन मे रहे,शुभचिन्तक हो आप।
सुनत रहे उपदेश भी,गुरू का करले जाप।
गुरू को हम महान कहें,जो देता है ज्ञान।
चरणों मे इसके मिले,हमको दे दो मान।
गुरुवर जी के ज्ञान से,होता संकट दूर।
चरणों में गुरु से मिले,जीवन है भरपूर।
गुरुवर के आशीष से,बनते बिगड़े काम।
चरणों में गुरु के मिलें,मिलता सुख आराम।
– रीता गुलाटी..ऋतंभरा
चंडीगढ़

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
