दुआएं कमाना ही हमारे जीवन का लक्ष्य हो- ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी

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दुआएं कमाना ही हमारे जीवन का लक्ष्य हो- ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी

विदिशा।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मुखर्जी नगर द्वारा खामखेड़ा हायर सेकेंडरी स्कूल में एक आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रदेश उपाध्यक्ष मानव अधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग तथा राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अखिल भारतीय स्वर्णकार महासभा लायन अरुण कुमार सोनी ने बताया कि इस अवसर पर रेखा दीदी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा, कि आज हम पढ़ाई करते हैं तो कहीं ना कहीं इस पढ़ाई का लक्ष्य यह लेकर चलते हैं कि हमारे जीवन में सुख, शांति, खुशी हो। दुनिया में कहावत है कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। लेकिन हम कहते हैं कुछ पाने के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है। तभी हम अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। साथ-साथ तन, मन की पवित्रता हमारे लिए अति आवश्यक है। तन पवित्र रखना है तो हमें भोजन की शुद्धता रखना जरूरी है। साथ ही इन आंखों से बुरा ना देखना कानों से बुरा ना सुनना, हम बुरे कर्म करने से बचें पर कभी बुरे रास्ते पर ना चले। मन की पवित्रता जब हम मन की पवित्रता की बात करते हैं तो पहले जानने की आवश्यकता है कि आखिर यह मन क्या है। मन हमारी आत्मा की एक संपूर्ण शक्ति है। जिसका कार्य है विचार करना। विचार का आधार होता हमारी भावनाएं, भावना का आधार हमारी वृद्धि और वृद्धि का आधार स्मृति और स्मृति का आधार हमारी दृष्टि कहां जाता है। हम जिस रंग का चश्मा पहनते हैं वैसा ही दिखता है। कहने का भाव मन की पवित्रता का आधार हमारे पवित्र विचार भावनाएं, वृत्ति, स्मृति और दृष्टि हमारा मन सुमन बनता ही तब है जब हम व्यर्थ, नकारात्मक और अशुभ विचारों से मुक्त हो। ब्रह्माकुमारी अनु दीदी ने कहा कि परचिंतन पतन की जड़ है हमें अपने जीवन में तीन पर काटने हैं परचिंतन, परदर्शन, परमत। हमें करना है स्वचिंतन, स्वदर्शन, और ईश्वरीय मत पर चलना चाहिेए। जो ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र पर सिखाया जाता है तो इस आध्यात्मिक ज्ञान को हमें अपने जीवन में लाना चाहिए। उसके लिए मेडिटेशन जरूर सीखें। अपने जीवन को तन मन से स्वस्थ बनाए। ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी ने बच्चों को समझाते हुए कहा कि हमें तीन प्रकार की फैक्ट्री खोलनी है जो निशुल्क खोल सकते हैं ।एक फैक्ट्री आइस फैक्ट्री जो हमें अपने मन में खोलनी है। मन को शांत रखना है, शीतल रखना है, ठंडा रखता है। दूसरी शुगर फैक्ट्री जो हमें अपने मुख पर खोलनी है, सभी से हमें मीठा बोलना है। तीसरी फैक्ट्री लव फैक्ट्री, हमें अपने दिल में खोलनी है सभी से स्नेह रखना है किसी से वैर भेदभाव नहीं रखना है। हमें वह कर्म करने हैं, जिससे हमें दुआएं मिले। यही हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। हमें अपने लक्ष्य पर ध्यान देना है ना कि यह सोचना है कि लोग क्या कहेंगे। मुझसे नहीं होगा, मेरी किस्मत में नहीं है, मेरे पास टाइम नहीं है, मैं नहीं कर सकता। यह शब्द हमारे मन को कमजोर कर देते हैं। विवेकानंद एक थे जिन्होंने पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। अब्दुल कलाम गरीब परिवार से थे लेकिन भारत के राष्ट्रपति और वैज्ञानिक बन करके दिखाएं। आप भी अपने आप को यूनिक समझे और अपने जीवन में कुछ विशेष करने का लक्ष्य रखें। अधिक संख्या में बच्चों ने कार्यक्रम का लाभ लिया। संस्था प्रमुख द्वारा अंत में सभी का आभार व्यक्त किया गया।

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