काव्य : शिक्षक दिवस – देवेंद्र जेठवानी भोपाल

459

शिक्षक दिवस

प्रथम पूज्य गुरु मेरी माता,
जिसने मुझको जन्म दिया,

सहकर असहनीय कष्टों को,
जो मुझको दुनिया में लाई,

द्वितीय पूज्य आदरणीय पिताजी,
जिन्होंने अंगुली पकड़ चलना सिखाया,

बिठाकर जिन्होंने कंधे पर,
मुझको सारा गाँव घुमाया,

ज़िन्दगी जीने का फालसफ़ा,
इन दोनों ने ही तो सिखाया है,

धरती पर परमात्मा मुझे,
इन दोनों में ही दिखाया है,

मैं बयाँ कर सकूँ गुरु की महिमा,
ऐसे मेरे पास कोई बोल नहीं,

और दुनिया में गुरु से बढ़कर,
और दूजा कोई अनमोल नहीं,

मिटाकर अज्ञान रुपी अंधियारे को,
जो ज्ञान रुपी प्रकाश फैलाते हैं,

सही मायने में ऐसे महान व्यक्ति ही,
पथ प्रदर्शक श्रेष्ठ गुरु कहलाते हैं,

देवेंद्र जेठवानी
भोपाल (म.प्र.)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here