

राखी के दिन…
भइया मेरे भेज दिया है,प्यार के लिफ़ाफ़े में।
बहना ने स्नेह के गाँठ को,बाँध कर रेशम की डोर से।
बचपन की मिठास को,यादों की चाशनी में डूबो कर,
भाई मेरे सजा दूँ माथे को,रोली अक्षत का तीलक लगाकर।
उतार लूँ आरती मेरे भइया,जो बचा कर रखें हर बला से।
उपहार के बदले माँगूँ,भाई तेरी आयु तुम हो दीर्घायु।
अगले बरस आना भइया,भाभी बच्चों को संग लाना।
रक्षा बंधन के दिन ज़रूर आना,हर बला से बच कर रहना।
राखी के दिन याद करना,बातों की मिठाई होगी।
ख़ुश हो जाऊँगी देख कर,तेरी कलाई पर राखी जो सजी होगी।
– सविता गुप्ता
राँची झारखंड

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
