

राखी : कुछ माहिये(टप्पे)
1भैया तुम बड़े प्यारे हो !
मात-पिता की अंखियन के तारे हो ।
2 बहना नेह का धागा है,
तेरे बिना लाड़ो, ये भाई आधा है।
3 मैं दूर सही भाई,नेह पहले से जादा है,
राखी भिजवाने में अब कोई न बाधा है।
4 बहना सड़कें टूटी हैं ,
लगता है जैसे तू मुझसे रूठी है।
5 रंग प्रेम का ही दूजा
रूठना मनाना है,
सड़कें ठीक न हुई तो क्या!
मुझे उड़के आना है ?
6 लाड़ो उड़के न आइयो,
डाकिये आते हैं
बस राखड़ी भिजवाइयो
7 तुम बड़े प्यारे भैया हो
माँ – बाप की जीवन नैया हो
8 सिर नेह की छांव रहे
अमर प्रेम सा लाड़ो ये लगाव रहे।
– सुमन सिंह चन्देल
मुजफ्फरनगर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
