काव्य : राखी : कुछ माहिये(टप्पे) – सुमन सिंह चन्देल मुजफ्फरनगर

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राखी : कुछ माहिये(टप्पे)

1भैया तुम बड़े प्यारे हो !
मात-पिता की अंखियन के तारे हो ।

2 बहना नेह का धागा है,
तेरे बिना लाड़ो, ये भाई आधा है।

3 मैं दूर सही भाई,नेह पहले से जादा है,
राखी भिजवाने में अब कोई न बाधा है।

4 बहना सड़कें टूटी हैं ,
लगता है जैसे तू मुझसे रूठी है।

5 रंग प्रेम का ही दूजा
रूठना मनाना है,
सड़कें ठीक न हुई तो क्या!
मुझे उड़के आना है ?

6 लाड़ो उड़के न आइयो,
डाकिये आते हैं
बस राखड़ी भिजवाइयो

7 तुम बड़े प्यारे भैया हो
माँ – बाप की जीवन नैया हो

8 सिर नेह की छांव रहे
अमर प्रेम सा लाड़ो ये लगाव रहे।

सुमन सिंह चन्देल
मुजफ्फरनगर

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