पार्थिव द्वादश ज्योर्तिलिंग पूजन एवं रूद्राभिषेक का विश्राम श्री महाकाल ज्योर्तिलिंग के पार्थिव स्वरूप के पूजन एवं रूद्राभिषेक के साथ विश्राम हुआ

श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कड़गंज में पार्थिव द्वादश ज्योर्तिलिंग पूजन एवं रूद्राभिषेक का विश्राम श्री महाकाल ज्योर्तिलिंग के पार्थिव स्वरूप के पूजन एवं रूद्राभिषेक के साथ विश्राम हुआ

सिंधिया राजवंश रात्रि विश्राम नहीं करता उज्जैन में

सोमवार को श्मशान की ताजी चिता की राख से भस्म आरती की गई

इटारसी 28/08/2023
श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कड़गंज इटारसी में श्री महाकाल ज्योर्तिलिंग के पूजन एवं रूद्राभिषेक के साथ चल रहे पार्थिव ज्योर्तिलिंग पूजन एवं रूद्राभिषेक का विश्राम हो गया । प्रतिवर्षनुसार इस वर्ष भी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन मास के अवसर पर द्वावश ज्योर्तिलिंग का पूजन एवं अभिषेक मुख्य आचार्य पं. विनोद एवं वेद पाठी ब्राह्मणों पं. सत्येन्द्र पांडेय एवं पीयूष पांडेय द्वारा कराया जा रहा था । विश्राम समारोह के अवसर पर भगवान महाकाल ज्योर्तिलिंग की महिमा भक्तों को बताई गई।
विश्राम समारोह के अवसर पर सोमवार को श्मशान की ताजी चिता की राख से भगवान महाकाल की भस्म आरती की गई।
उज्जैन के क्षिप्रा तट पर स्थित विश्व विख्यात महाकाल ज्योर्तिलिंग अपनी खास विशेषताओं के लिए जाना जाता है। ग्वालियर का सिंधिया राजवंश आज भी महाकाल की नगरी में रात्रि विश्राम नहीं करता है। और पूरी दुनिया के केवल महाकाल एवं कुंभ के कारण ही उज्जैन की पहचान है। भूगोल की कर्क रेखा भी इसी के पास से गुजरी है।
आचार्य पं. विनोद दुबे ने कहा कि सिंहासन वत्तीसी राजा विक्रमादित्य का आसन था। विक्रम संवत भी राजा विक्रमादित्य के नाम से ही जाना जाता है। उज्जैन ही एक ऐसा तीर्थ स्थल है जहां कृष्ण ने गुरू सांदीपनी के आश्रम में आकर शिक्षा ग्रहण की थी।
महाकाल ज्योर्तिलिंग को प्रतिदिन प्रातःकाल की आरती में ताजे शव की चिता की भस्म चढ़ाई जाती है जिसे भस्म आरती कहते है।
आचार्य पं. विनोद दुबे ने कहा कि उज्जयिनी के नरेश चंद्रसेन पक्के शिव भक्त थे तथा उन्हें शास्त्रों का पूर्ण ज्ञान था। महेश्वर के गण ने उन्हें एक चितामंणी भेंट दी थी जिस कारण देवता भी उनसे ईष्या रखते थे।
पं. दुबे ने कहा कि उज्जैन के आस-पास के राजाओं ने नरेश चंद्रसेन से इसीलिए मित्रता की क्योंकि चंद्रसेन को जीतना संभव नहीं था शिवजी का आशीर्वाद चंद्रसेन के साथ था।
पं. दुबे ने कहा कि उज्जैन के महाकाल की प्रमुख धार्मिक अवसरों पर सवारी निकाली जाती है खासकर सावन के प्रत्येक सोमवार को महाकाल की शाही सवारी निकाली जाती है। कुंभ के जो चार प्रमुख स्नान होते है उसमें भी महाकाल की विशेष सवारी निकाली जाती है।
पं. विनोद दुबे ने कहा कि मध्यप्रदेश में क्षिप्रा नदी के किनारे उज्जैन नगर बसा हुआ है जिसको इंद्रपुरी अमरावती या अवंतिका भी कहते है। उज्जैन निवासी शिव के उपासक एक ब्राह्मण के चार पुत्र थे। ब्रम्हा से वरदान प्राप्त एक दुष्ट दैत्यराज दूषण ने उज्जैन में आकर वहां के निवासी वेदिक ब्राह्मणोंको बहुत प्रताड़ित किया परंतु शिवजी के ध्यान में लीन ब्राम्हण तनिक भी खिन्न नहीं हुये। दैत्यों के उत्पात से पीड़ित प्रजा ब्राह्मणों के पास आई वैदिक ब्राह्मणों ने प्रजाजनों को धीरज बंधाया और पुनः भगवान शिव की आराधना में लीन हो गये इसी समय ज्यों ही दुष्ट दैत्य अपनी सेना सहित उन ब्राह्मणों पर झपटा तब ही पार्थिव मूर्ति के स्थान तक भयानक गर्जना के साथ धरती फटी और वहां गहरा गड्डा हो गया जिसमें से शिव जी एक विराट रूप धारी महाकाल के रूप मंे प्रकट हुये उन्होंने उस दुष्ट को ब्राह्मणों के निकट न आने को कहा परंतु उस दुष्ट दैत्य ने शिव जी की आज्ञा नहीं मानी अतः शिव जी ने अपनी एक ही हुंकार से उस दैत्य को भस्म कर दिया। शिव जी को इस रूप में प्रकट हुआ देखकर बह्म विष्णु तथा अन्य देवताओं ने भगवान शंकर की वंदना की। पं. विनोद दूबे ने कहा कि रामजी के भक्त हनुमंत लालजी का भी उज्जैन से गहरा संबंध है जिस समय भगवान दुष्टों का संहार कर रहे थे उसी समय हनुमान जी भी उज्जैन आये और उन्होंने वहां के राजाओं को बताया कि भगवान भोलेनाथ के अलावा मनुष्य का उद्धार करने वाला अन्य कोई नहीं है।
उज्जैन नगरी संस्कृति विद्या की प्राचीन पीठ है तथा धर्म, ज्ञान और कला का अदभुत संगम है लाखांे श्रद्धालु सावन मास में भगवान शिव को प्रसन्न करने पवित्र नगरी उज्जैन आते है और धार्मिक लाभ प्राप्त करते है।
विश्राम के अवसर पर श्रद्धालुओं ने दूध,दही और पंचामृत स्नान से महाकाल ज्योर्तिलिंग और जलहरी को ढांक दिया। द्वादश ज्योर्तिलिंग पूजन रूद्राभिषेक एवं एक लाख रूद्री निर्माण का विश्राम हवन पूजन के साथ हुआ। आरती के पश्चात प्रसाद वितरण किया गया। आयोजन में पं. सत्येंद्र पंाडेय एवं पं.पीयूष पांडे ने पूर्ण सहयोग दिया।
यजमान के रूप में अनिल सिंह सीमा भदौरिया,अमित दीपमाला मौर्य,अनिल शशि अग्रवाल ने भगवान का पूजन एवं रूद्राभिषेक किया।
विश्राम समारोह के अवसर पर मंदिर समिति के अध्यक्ष प्रमोद पगारे ने सभी श्रद्धालुओं के प्रति आभार व्यक्त किया । हवन पूजन के पश्चात सभी को भण्डारे मे प्रसाद वितरित किया गया।

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