लघुकथा : जेंटलमैन – सपना सी.पी. साहू “स्वप्निल” इंदौर

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लघुकथा

जेंटलमैन

‘मम्मी-मम्मी! आप मेरे सारे नाखून काट दो अभी के अभी।’
‘अरे ये क्या बात हुई पहले बैग तो रखों और कपडे़ बदलो, खाना खालो।’
‘नहीं मम्मी पहले मेरे नाखून काट दो, तभी कुछ ओर करूंगा।’
‘अच्छा चलो मैं नेलकटर लेकर आती हूं। तुम बैग तो रखों।’
‘करो हाथ आगे और ये बताओं आखिर इतनी क्या जल्दी पड़ी है।’
‘मम्मी मुझे जेंटलमैन बनना है।’
‘नाखून कटाने से कैसे बनोगे?’
‘बनूंगा न मम्मी, देखों… मैं मेरी दोस्त के साथ गार्डन में फुटबाल खेलता हूं तो कभी-कभी मेरे नाखून भी उसे लग जाते है।’
‘अच्छा, बेटा’
‘और मम्मी आज ही मैम ने स्कूल में सिखाया है कि जेंटलमैन कभी लड़कियों को नहीं मारते। इसलिए, मम्मी मैं मेरी दोस्त को खेलते हुए, गलती से भी मारना नहीं चाहता।’
‘शाबाश! मेरे जेंटलमैन’
बेटे के मन के कोमल भाव सुनकर मम्मी के चेहरे पर मधुर मुस्कान फैल गई।

सपना सी.पी. साहू “स्वप्निल”
इंदौर (म.प्र.)

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