काव्य : आए दिन खैरातों के – सुरेश गुप्त ग्वालियरी विंध्य नगर बैढ़न

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आए दिन खैरातों के

आए दिन खैरातों के,
मीठी मीठी बातों के!!

अच्छे दिनऔ रातों के,
खेतों में बरसातों के!!

प्यारे रिश्ते नातों के,
क्षमा मांगते घातो के!!

फिर निर्धन के खातो के,
अगड़ी पिछड़ी जातों के!!

अश्रु भरे जज्बातों के,
आज पुजारी लातों के!!

आए दिन खैरातों के ,
मीठी मीठी बातों के!!

सुरेश गुप्त ग्वालियरी
विंध्य नगर बैढ़न

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