

मुक्तक
है जो प्राप्त हमें हम उसमें कब खुश होते हैं।
जो अप्राप्त है उसकी खातिर निशिदिन रोते हैं।
नहीं भाग्य से अधिक किसी को कुछ भी मिल पाता
समय सुनिश्चित फिर भी नहीं चैन से सोते है
2
झूल रहे हम बंधे हुए फल आशा रूपी डोरी पर
हंसता है वह ऊपर बैठा मानव की इस चोरी पर
कर्म करो तज प्रतिफल आशा ,मुझ पर मैंने बोला था
दूंगा पर तुम दुखी न होना वान्छित इच्छा कोरी पर
3
जीवन भर वश सुख की इच्छा उचित नहीं है
पग पग प्रभु की करो परीक्षा उचित नहीं है
कर्मों के अनुरूप भाग्य का होता निर्धारण
करो नित्य कर्तव्य अनिच्छा उचित नहीं है
–डॉ राम प्रकाश तिवारी
उज्जैन

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
