

भारत में टेलिविज़न और दूरदर्शन
आज हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भारत का तिरंगा फहरा रहे हैं, जिसे 23 अगस्त 2023 के दिन शाम 5:20 से लेकर 6:05 बजे तक टेलीविजन पर सारे देश ने ही नहीं बल्कि सारे विश्व ने देखा है, और ऐसा होते हुये भारत को प्रथम स्थान पर पहुँचते भी देखा है। हाँ, आज से 60-65 साल पहले हमें आकाशवाणी जैसे साधन मात्र उपलब्ध थे जो समाचार व मनोरंजन के लिए पाये जाते थे।
आज की युवा पीढ़ी के बारे में तो नहीं कह सकता, लेकिन पुरानी पीढ़ी के लोगों के मन में ‘दूरदर्शन’ का नाम सुनते ही अतीत की कुछ सुनहरी यादें ताजा हो जाती है। वह एक ऐसा समय था जब हमारे पास टीवी पर देखने के ढेरों चैनल नहीं हुआ करते थे। उस समय लोग सिर्फ ‘दूरदर्शन’ पर आने वाले कार्यक्रम ही देखते थे।
*दूरदर्शन की स्थापना एवं दूरदर्शन का इतिहास (History of Doordarshan) : और दूरदर्शन की सफलता की कहानी :*
दूरदर्शन का इतिहास उतना ही पुराना है जितना भारत में टेलीविजन का इतिहास। 15 सितंबर 1959 को देश के पहले टीवी चैनल ‘दूरदर्शन’ की शुरुआत हुई थी। उस समय इसका नाम ‘दूरदर्शन’ नहीं बल्कि ‘टेलीविजन इंडिया’ हुआ करता था। शुरुआत में हफ्ते में तीन दिन ही इसका प्रसारण होता था और वह भी सिर्फ आधे घंटे के लिए।
यह भारत में टेलीविजन और टेलीविजन चैनल की शुरुआत थी।शुरुआत में ‘दूरदर्शन’ पर स्कूली बच्चों और किसानों के लिए शैक्षणिक कार्यक्रम का प्रसारण किया जाता था। साल 1965 से हफ्ते में तीन दिन की जगह रोजाना ‘दूरदर्शन’ का प्रसारण होना शुरू हो गया। इसी के साथ ‘दूरदर्शन’ पर 5 मिनट न्यूज बुलेटिन भी शुरू किया गया।
साल 1975 में 6 राज्यों में सैटेलाइट इन्स्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (SITE) शुरू किया गया। उस समय इन राज्यों में सामुदायिक टीवी लगाए गए थे। यह वही साल था जब ‘टेलीविजन इंडिया’ का नाम बदलकर ‘दूरदर्शन’ कर दिया गया। इसके अगले साल 1976 में दूरदर्शन ऑल इंडिया रेडियो से अलग हो गया।
शुरूआती सालों में ‘दूरदर्शन’ का विकास बहुत ही धीमी गति से हुआ, लेकिन साल 1982 ‘दूरदर्शन’ के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा। इसी साल ‘दूरदर्शन’ ब्लैक एंड वाइट से रंगीन हो गया। इसके साथ ही साल 1982 में ही ‘दूरदर्शन’ ने इनसैट-1 के जरिए पहली बार नेशनल ब्रॉडकास्ट किया। इस बीच जब ‘दूरदर्शन’ पर एशियाई खेलों का प्रसारण हुआ तो लोगों ने ‘दूरदर्शन’ देखना शुरू कर दिया। एशियाई खेलों ने ‘दूरदर्शन’ की लोकप्रियता को कई गुना बड़ा दिया।
‘दूरदर्शन’ के लोकप्रिय होने और लोगों की रूचि को देखते हुए ‘दूरदर्शन’ के लिए नए-नए प्रोग्राम बनने लगे। उस समय कृषि दर्शन, चित्रहार और रंगोली जैसे प्रोग्राम बहुत सफल हुए। साल 1966 में शुरू हुआ ‘कृषि दर्शन‘ कार्यक्रम देश में हरित क्रांति लाने का सूत्रधार बना।
‘कृषि दर्शन‘ कार्यक्रम ‘दूरदर्शन’ पर सबसे अधिक प्रसारित होने वाला उस समय का कार्यक्रम था।
इस बीच साल 1986 में ‘दूरदर्शन’ पर रामायण का प्रसारण हुआ।इसके बाद ‘दूरदर्शन’ पर महाभारत का प्रसारण किया गया। ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ ने ‘दूरदर्शन’ की आसमान की बुलंदियों पर पहुंचा दिया।
उस समय ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ के प्रसारण के समय देश में कर्फ्यू जैसी स्थिति बन जाती थी।सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था। पूरे देश के लोग टीवी के सामने बैठ जाते थे।उस समय ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ इतना लोकप्रिय हुआ था कि लोग बाकायदा प्रसारण से पहले घर की सफाई करते थे और प्रसारण के समय अगरबत्ती और दीपक जलाते थे। साथ ही प्रसारण खत्म होने के बाद मिठाई भी बांटते थे।
रामायण’ और ‘महाभारत’ के प्रसारण के बाद ‘दूरदर्शन’ ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इन टीवी सीरियल के बाद ‘हम लोग’ जैसे ‘दूरदर्शन’ पर एक से बढ़कर एक सीरियल का प्रसारण किया गया।
*दूरदर्शन के बारे में रोचक तथ्य (Interesting facts about Doordarshan)*
दूरदर्शन के आज 34 सैटेलाइट चैनल हैं।
14 हजार जमीनी ट्रांसमीटर और 66 स्टूडियो के साथ दूरदर्शन देश का सबसे बड़ा प्रसारणकर्ता है।
दूरदर्शन के पास देशभर में 66 स्टूडियो हैं, जिनमें से 17 राज्यों की राजधानियों में हैं और बाकी 49 अलग-अलग शहरों में हैं।
3 नवंबर 2003 में दूरदर्शन का 24 घंटे चलने वाला समाचार चैनल शुरू हुआ।
दूरदर्शन शुरू करने के लिए यूनेस्को ने भारत को 20,000 डॉलर और 180 फिलिप्स टीवी सेट दिए थे।
इसके साथ ही इंटर्नेट से कनेक्ट सीरीयल्स व सोसल मीडिया आज हिंसा, हत्या व झूठ फ़रेब आदि तरह तरह की नकारात्मकता परोसने के माध्यम बनते जा रहे हैं जिन पर प्रतिबंध लाज़मी है।
– कर्नल आदि शंकर मिश्र, आदित्य
लखनऊ

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
