

नारी मन से जुड़ी कहानियों के संग्रह “समीकरण अपने-अपने” का आज हुआ लोकार्पण
भोपाल।
दुष्यंत कुमार पांडुलिपि संग्रहालय में न्यू भूमिका साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था के तत्वावधान में श्री मनोज श्रीवास्तव की अध्यक्षता, डॉक्टर विकास दवे के मुख्य आतिथ्य और प्रो.ख़ेम सिंह डहेरिया के विशिष्ट आतिथ्य में, प्रसिद्ध कथाकार डॉक्टर अनीता सिंह चौहान के नवीन कहानी संग्रह “समीकरण अपने-अपनों”का लोकार्पण संपन्न में हुआ।
सबसे पहले संचालक डॉक्टर मुहम्मद आज़म ने सभी उपस्थित साहित्यरसिकों को चंद्रयान की सफलतापूर्वक चंद्रमा पर उतरने की बधाई दी। जिसका सभी ने करतल ध्वनि से स्वागत किया। चंद्र भान राही ने स्वागत वक्तव्य में बताया कि इस संग्रह में 29 कहानियाँ समाहित हैं। जो संवेदनशील पात्रों के आसपास बुनी हैं। डॉक्टर अनीता सिंह चौहान ने बताया कि सामाजिक सरोकारों और मानव मूल्यों व अनुभूतियों को उजागर करते इस कहानी संग्रह के पात्र जीवन में बदलाव लाने हेतु जीवन के कठिन समीकरण अपने पृथक नजरिए से हल करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने इस अवसर पर पाठक को उद्वेलित करती मुसीबतज़दा सह्रदय व्यक्ति की मानसिकता को बयां करती कहानी “अंर्तमन की गूंज” का पाठ किया।
पुस्तक की समीक्षक शीला मिश्रा ने प्रस्तुत करते हुए कहा कि अनीता चौहान ने आज के समाज की नब्ज़ पर हाथ रखा है। इस कहानी संग्रह की सभी कहानियाँ समाज को सार्थक संदेश देने के मोड़ पर समाप्त होती हैं। संग्रह में सकारात्मक समीकरण को अभिव्यक्त करती कहानियाँ प्रभावित करती हैं।
अध्यक्ष उद्बोधन में मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि
इस संग्रह की कहानियों के स्त्री पात्र समय के साथ विकसित होते दिखाई देते हैं। नायिका पात्र स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम हैं। इनकी कहानियाँ स्त्रियों के नज़रिए को नहीं बल्कि स्त्रियों को व्यक्तियों के दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती हैं।
मुख्य अतिथि डॉक्टर विकास दवे ने कहा कि कहानी संग्रह की कहानियाँ भारत की परिवार परम्परा के आसपास घूमती हैं। उनकी कहानियाँ बताती हैं कि आज के बदलते परिवेश में इस परम्परा को किस तरह मज़बूत किया जा सकता है।
विशिष्ट अतिथि दहेरिया ने कहा कि कहानियों के पात्र वास्तविक दुनिया के आम मनुष्य हैं। इसलिए कहानियाँ ज्वलंत और प्रासंगिक बन पड़ी हैं। रमेश श्रीवास्तव ने आभार प्रदर्शन किया। पुस्तक लोकार्पण समारोह में शहर के आश्रित रसिकों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
@सुरेश पटवा

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
