

तुलसी की साधना से रत्नावली ने पाया मोक्ष : तुलसी शोध संस्थान में तुलसी जयंती समारोह संपन्न
चित्रकूट।
मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग की जनजातीय लोककला एवं बोली विकास अकादमी के अंतर्गत संचालित तुलसी शोध संस्थान चित्रकूट में तुलसी जयंती के अवसर पर प्रतिवर्ष आयोजित की जाने वाली श्रृंखला के अंतर्गत तुलसी जयंती समारोह का आयोजन दिनांक 23-24 अगस्त 2023 को प्रतिदिन संध्या 6:30 बजे से आयोजित किया गया। तुलसी की पत्नी रत्नावली के उत्तरार्ध जीवन पर केन्द्रित नाट्य से ऑखें हुई नम।
गतिविधि तुलसी भवन तुलसी, शोध संस्थान नयागॉव, चित्रकूट के वातानुकूलित सभागार में आयोजित संवाद, नाट्य एवं भक्ति गायन पर केन्द्रित आयोजन सम्पन्न हुआ। इस विधिवत् उद्घाटन वनवासी राम मंदिर के महंत श्री मौनी महाराज की विशेष उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर “तुलसी के राम” विषय पर केंद्रित व्याख्यान की प्रस्तुति वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कृष्णमणि चतुर्वेदी, सुल्तानपुर सारगर्भित व्याख्यान आयोजित हुआ। डॉ चतुर्वेदी ने तुलसी के राम को व्याख्यायित करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि तुलसी के राम हमें जन के राम के रूप में दिखाई देते हैं। तुलसी और वाल्मीकि के राम में अंतर निष्पादित करते हुए उन्होंने कहा कि जहॉ वाल्मीकि के राम में राजा का स्वरूप दिखता है, वहीं तुलसी के राम जनजाति और जनप्रिय, जन कल्याणक राम के रूप में प्रकट दिखाई देते हैं। उन्होंने अपने शोघ के आधार पर विचार रख कि हनुमान चालिसा के पुनर्पाठ पर भी विचार किया जाना उचित है।
गतिविधि के द्वितीय चरण में तुलसी की धर्मपत्नी रत्नावली के उत्तरार्ध जीवन की घटनाओं पर केन्द्रित नाट्य ‘‘तुलसी रत्न – रत्ना’’ की सफल प्रस्तुति हुई। वेद नाट्य संस्थान, उज्जैन की प्रस्तुति में श्री विकास चौहान के निर्देशन में प्रस्तुत नाटक में रत्ना के जीवन की सजीव झॉकी प्रस्तुत हुई, जिसमें तुलसी से विछोह, मिलन, त्याग और पुत्रवियोग के पक्षों को मार्मिक रूप से प्रस्तुत किया गया। यह इतनी जीवंत बन पड़ी थी कि सभाग्रह में उपस्थित जन समुदाय की ऑख नम हुए बिना नहीं रह पाईं। उपन्यास के मूल लेखक श्री राम गोपाल भावुक ने एक शब्द में अपनी बात रखी कि यदि आप करूणा से भर गये हों तो मैं और नाट्य निर्देशक अपनी बात रखने में सफल रहे हैं।
समारोह का कुशल संचालन प्रो. अवधेश प्रसाद पाण्डे, रीवा ने किया।
सभी के प्रति आभार कार्यक्रम अधिकारी दीपक कुमार गुप्ता ने माना। इस समारोह में साधु सन्तों के साथ बुद्धिजीवियों और स्थानीय जनता की सहभागिता सराहनीय रही। तुलसी शोध संस्थान परिवार की ओर से जन सामान्य की उपस्थिति हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
निदेशक
तुलसी शोध संस्थान
चित्रकूट, सतना, मध्यप्रदेश

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
