काव्य : इसरो ने बाग लिखा चांद पर – सतीश राठी , इंदौर

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गज़ल

एक नया राग लिखा चांद पर ।
कलम से आग लिखा चांद पर।

मेहनत के फूल सब खिल गए
इसरो ने बाग लिखा चांद पर ।

विक्रम ने रास्ता तय किया तो
देखो सुहाग लिखा चांद पर।

भारत के विज्ञान की मेहनत से
प्रज्ञान ने पराग लिखा चांद पर।

नरेंद्र ने नेतृत्व ऐसा दिया कि
कई रातें जाग लिखा चांद पर।

सतीश राठी
इंदौर

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