काव्य : आई रिमझिम फुहार – आर्यावर्ती सरोज “आर्या ” लखनऊ

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आई रिमझिम फुहार

आई रिमझिम फुहार तन डोल रहा।
करे प्रियतम पुकार मन बोल रहा।।

देखो!धानी चुनर पहनी धरती।
सखि!बोल पपिहा मन मोह रहा।।

मेघ देख झूम मयूरा नृत्य करे।
सबके दिलों का भेद खोल रहा।।

कोकिल कूंज रहा उपवन में।
सुनो कर्ण मधुर रस घोल रहा।।

तृषित धरा जब बरषी बरषा।
जल धारा का तब मोल रहा।।

आई रिमझिम फुहार तन डोल रहा।
करे प्रियतम पुकार मन बोल रहा।।

आर्यावर्ती सरोज “आर्या ”
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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