

पुष्प ओ! मृदुलाभ
पुष्प ओ ! मृदुलाभ तुम ,
जग को सुकोमल प्रात लेकर
नित्य आते
और नम मुदमय मनोरम बात
जन-जन को सुनाते –
ओ सुनो ! तुम नम मृदुल हो ,
नीर से पावन अमल हो ,
बंधुता के पुत्र तुम
मानव निमल हो ,
क्षीर के सरसिज कमल हो ।
द्वेष , तुम मन में रखो क्या !
वेष , तुम खल से बनो क्या !
पग , कुपथ पर तुम चलो क्या !
डग , बिगड़ते तुम बढ़ो क्या !
तुम सहज ही श्रेष्ठ हो ,
तल पर सुकल हो ।
कौंन कुप्रेरक हुआ है !
क्यों कुपथ-चेतत हुआ है !
सभ्यता के सुत ! तुम्हारा ,
कौंन पथ-भ्रष्टक हुआ है ।।
तुम सफल ;
क्यों असफल हो ।
नित्य यह मृदुबात कह
सबको लुभाते ।
पुष्प ! सुरभित बात ,
तुम सबको बताते ।।
– संतोष कुमार सोनी
हिन्दी कवि,गीतकार,गजलकार
शिवपुरी-ग्वालियर-भोपाल
भोपाल (मध्य प्रदेश ) भारतवर्ष

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
