काव्य : पुष्प ओ! मृदुलाभ – संतोष कुमार सोनी,भोपाल

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पुष्प ओ! मृदुलाभ

पुष्प ओ ! मृदुलाभ तुम ,
जग को सुकोमल प्रात लेकर
नित्य आते
और नम मुदमय मनोरम बात
जन-जन को सुनाते –
ओ सुनो ! तुम नम मृदुल हो ,
नीर से पावन अमल हो ,
बंधुता के पुत्र तुम
मानव निमल हो ,
क्षीर के सरसिज कमल हो ।

द्वेष , तुम मन में रखो क्या !
वेष , तुम खल से बनो क्या !
पग , कुपथ पर तुम चलो क्या !
डग , बिगड़ते तुम बढ़ो क्या !

तुम सहज ही श्रेष्ठ हो ,
तल पर सुकल हो ।

कौंन कुप्रेरक हुआ है !
क्यों कुपथ-चेतत हुआ है !
सभ्यता के सुत ! तुम्हारा ,
कौंन पथ-भ्रष्टक हुआ है ।।

तुम सफल ;
क्यों असफल हो ।

नित्य यह मृदुबात कह
सबको लुभाते ।
पुष्प ! सुरभित बात ,
तुम सबको बताते ।।

संतोष कुमार सोनी
हिन्दी कवि,गीतकार,गजलकार
शिवपुरी-ग्वालियर-भोपाल
भोपाल (मध्य प्रदेश ) भारतवर्ष

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