लघुकथा : सरप्राइज़ – ज्योति जैन इन्दौर

लघुकथा

सरप्राइज़

आज दीनानाथ जी ने सुबह से ही सब तय कर लिया था.।वे समझ रहे थे कि घर पर क्या चल रहा होगा…,आखिर साठ बरस का साथ है….! कल्याणी कुड़-कुड़ कर रही होगी…आज करवाचौथ के दिन समी संजा कहाँ गायब हो गए… बिना बताए…
पर उन्होंने सब सेट कर लिया है…।
दोनो बेटों के यू.एस.मे सैटल होने के बाद से उनके यहाँ पेइंग गेस्ट के तौर पर रह रहे ऋचा और अनिरुद्ध कल्याणी को बहाने से यहाँ, इस रेस्टोरेंट मे ले आएंगे..।
सरप्राइज़ का ठेका क्या सिर्फ नौजवानों ने ही ले रखा है..? वो सरप्राइज़ होगी…फिर चेहरे पर लज्जा मिश्रित प्रसन्नता के साथ झूठी नाराजगी…..हा…कितना सुखद लगेगा….
और फिर वे अपने सिर पर हाथ फेरकर कहेंगे… आज यही चाँद देखकर खाना खा लीजिए रानी साहिबा…!
बस…! दरवाजा खुला..कि आती ही होगी…

ज्योति जैन
इन्दौर -452011

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