काव्य : राम भक्ति – नेहा प्रजापति प्रयागराज

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राम भक्ति

राम नाम की धारा,
अब तो बह रही हैं तन मन में
सब कुछ अर्पित कर दिया है,
प्रभु तुम्हारे चरणों में|

अयोध्या केे है गौरव राम,
भजते जा तू राम का नाम|
पुरुषों मे है उत्तम राम,
राम करे सबका कल्याण|

राम की लीला कोई न जाने,
लेकिन इनको सब पहचाने
विष्णु के सातवें अवतार है
मन मंदिर में बसे श्री राम है|

राम नाम केे अनुराग से,
सब दुःख हो जाता विलीन|
राम सिया की भक्ति से,
कोई न रहता हीन|

नेहा प्रजापति
प्रयागराज

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