काव्य : तिरंगा – नटवरलाल अबोटी नागपूर

102

तिरंगा

एक रोज तिरंगा ऐसा हो
उस पर सब कुर्बान रहे,
तेरा मेरा से हटकर
अपना हिन्दुस्तान रहे |

ना हो दंगे ना हो झगड़े
सबका एक ईमान रहे,
रण में उतरे तो कृष्ण का चक्र
और घर में मर्यादा पुरुषोत्तम राम रहे |

भिन्न हो हमारे मजहब, प्रांत या भाषाएँ
एक सूर में अखंड भारत का संग्राम रहे,
घर-घर राधा, मीरा,रुक्मिणी, सीता
घर-घर में कृष्ण और राम रहे |

एक रोज तिरंगा ऐसा हो
उस पर सब कुर्बान रहे |

नटवरलाल अबोटी
नागपूर,

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here