काव्य : आजादी का उत्सव – राम वल्लभ गुप्ता इटारसी

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आजादी का उत्सव

आजादी के वर्ष छिहतर
दीप जले हर गली द्वार पर ।
उत्सव जर्रे जर्रे पर,
फहरायें तिरंगा ,
हम सब के घर घर ।।
मेरा सलाम, हर सुबह हर शाम
देश पर मिटने वाले शहीदों के नाम
हर शहीद की मजार पर
हर बरस ही लगते हैं मेले
ज़ेहन में तस्वीरें उभरती हैं
आज आंखे आती हैं भर-भर,
श्रद्धा के सुमन अर्पित अर्पित
कर जाती अंजुरी भर ।।
एक हूक उठती है,
रिश्ता दर्द का दर्द को ढूंढता है ।
ये रिश्ता है भारत मां का
जो सबको जोड़ता है। ।।
त्याग तपस्या की है ये कहानी
सुनाती थी , मेरी दादी नानी।
चंद्रशेखरआजाद, भगत सिंह ,
सुखदेव सुभाष की वाणी ।।
अरे नौजवानों देश के वाशिंदों
सावधान देश के गद्दारों !
जिनके पास दिल नहीं,
बस पत्थर हैं,
वे जानवरों से ज्यादा ,बद्तर है
मां भारती की हैं तुम्हे कसम !
निभाओ यह रस्म
उतार कर सर दो मां को
हर घर भारत मां का हैं
हम भारत मां है के बेटे हैं ।
घर घर में राम रहीम बैठे हैं ।।
हर दिल की एक ही ख्वाहिश
एक ही उड़ान ।
तिरंगे पर हम मरें मिटें हम
शान बस यही हमारी शान।।

राम वल्लभ गुप्ता
इटारसी

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