काव्य : मेरे भारत की माटी – प्रीति हर्ष नागपुर महाराष्ट्र

मेरे भारत की माटी

मेरे भारत की माटी ….
कहती मुझसे..
सुनो कहानी आजादी के दीवानों की ….
धरती पर ऐसे लाल हुए ….
सीने में गोली खाई है…
भारत की लाज बचाई है..
सीमा पर बंदूक तान खड़े…
दुश्मनों को यह ललकारते…
अंग्रेजों से हमें आजाद किया. ..
अपने प्राणों का बलिदान किया…
ऐसे दीवाने भारत में…
आजादी के वह मतवाले..
कहां भगत आजाद मिलेंगे..
कहां सुभाष और लाल मिलेंगे…
जो तुम्हारी आजादी की खातिर…
जहां से जुदा वह हो गए…
परवाह नहीं अपनी जान की..
भारत का मान बढ़ाया है..
तिरंगे का शान बढ़ाया है…
तुम्हारी आजादी की खातिर..
धरा पर अपना खून बहाया है..
आजादी का जश्न मनाते हो…
गोली बारूद की होली खेली…
तुम दिवाली मनाते हो..
मेरे भारत की माटी..
सदियों तक ..
कहानी सुनाएं ..
वीरों की…
धरती पर सो रहे मेरे लाल..
बंद करो आतंकवाद..
भेदभाव नफरत की दीवारें…
जाति धर्म का तुम नाम न लो..
देश की आजादी में….
खून बहा भारतवासी का…
भारत मां के लाल बनो..
जाति धर्म में मां ना बांटो…
मातृभूमि का कर्ज चुकाना है…
तुमको अपना फर्ज निभाना है…
मेरे भारत की माटी..
कहती कहानी….!!!

प्रीति हर्ष
नागपुर महाराष्ट्र
<

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here