काव्य : भारत की अमर गाथा – सिद्धि केसरवानी प्रयागराज

132

भारत की अमर गाथा

तीन रंगों का प्यारा झंडा
लहराता रहे हमारा तिरंगा
न कम होने देंगे इसकी शान
इसके पीछे गवाया है अनेक शूरवीरों ने अपनी जान ll

आज़ादी मिलना भारत के लिए नहीं था आसान
कई माँ ने खोये अपने सपूतों के प्राण
भूल कर भी नहीं भुलाया जा सकता
उन वीर शहीदो का बलिदान ll

चन्द्रशेखर ने चलाई स्वयं पर गोली
ताकि भारतीय खेल सके स्वतन्त्रतापूर्वक होली
अंग्रेजों के सामने कभी झुकना स्वीकारा नही
लक्ष्मीबाई हो या मंगल पांडे ,अंग्रेजों के सामने कभी हार माना नही ll

सरहदो पर खड़े रहकर करते जो भारत माँ की रखवाली
अक्सर रह जाती हैं उनकी माँ घर पर अकेली
अपनी भारत माता की निरंतर सेवा करना
यही होता है भारतीय जवानो का सपना ll

देश के जवानो तथा शहीदो का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देंगे
हर कदम पर भारतीय होने का कर्तव्य निभाएंगे
भारतीय होना हमारे लिए एक सौभाग्य की बात
कभी कम न हो हमारे भारत का मान सम्मान ll

सिद्धि केसरवानी
प्रयागराज

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here