

स्वतंत्रता
थे सपूत जो भारत माँ के , बलि बेदी अपनाई थी ।
माँ की लाज बचाई थी ।।
जिसका मंगल पाण्डे नाम , कर्म धर्म रक्षा का काम , हो गयो भारत भर में नाम ।
गोरन को गरराटो देखो , बंदूक दई चलाई थी ।
माँ की लाज बचाई थी ।………………..१
झांसी की रानी मरदानी , वीरांगना थी बनी भवानी , महिमा सकल विश्व ने जानी ।
अंग्रेज़ों के आगे आ गयी , मुंह में रास दबाई थी ।
माँ की लाज बचाई थी ।…………………२
राणा और शिवा की शान , दुष्ट विधर्मी गये थे मान , करते देश भक्त गुण गान ।
भारत माँ के लाल लाड़ले , घास की रोटी खाई थी।
माँ की लाज बचाई थी ।…………………३
सुभाष भगत आजाद अनेक , अपने बदल बदल के भेक , मारे थे अंग्रेज अनेक ।
आजादी की आग लगा दी , बुझती नही बुझाई थी ।
माँ की लाज बचाई थी ।…………………४
कर्णधार सुन लो मेरे भाई , किस्ती खींच किनारे लाई , उन्नति शिखर तक दो पहुंचाई ।
राजेश रात दिना एक कींन्हा , मेहनत ही अपनाई थी ।
माँ की लाज बचाई थी ।…………………..५
राजेश तिवारी ‘मक्खन’
झांसी उ प्र

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
