काव्य : आजादी के बाद भी – राधा गोयल विकासपुरी,दिल्ली

आजादी के बाद भी

वंदना करो उन वीरों की, माँ की आँखों के तारों की।
वंदना वीर जाँबाज़ोँ की, सीमा के पहरेदारों की।

जो बन अजेय सीमाओं पर, लड़ रहे काल से भी डट कर।
जो भीषण शीत ताप सहते, सीमा पर खड़े हुए डटकर।

हम धूम से फागुन मना रहे,वे सीमा पर तन खड़े रहे।
आतंकी कोई घुस न जाये, टकटकी लगाकर खड़े रहे।

वंदन इस देश की माटी को, जिस देश में हमने जन्म लिया।
वंदन झाँसी की रानी का, आजादी का उद्घोष किया।

कितनी ही आपदाएं झेलीं, पर हिम्मत कभी नहीं हारी
उसकी ताकत के आगे तो अंग्रेजी सत्ता भी हारी।

फाँसी का फंदा चूमा था आजादी के मतवालों ने।
हँस-हँसकर शीश कटाए थे आजादी के रखवालों ने।

नित नई तरक्की करे देश, कुछ करके दिखाना होता है
आजादी के बाद भी सबको देश बनाना होता है।

राधा गोयल
विकासपुरी,दिल्ली

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