

विश्व पुस्तकालय दिवस पर मकरोंनिंयां में संगोष्ठी संपन्न
सागर।
विश्व पुस्तकालय दिवस के अवसर पर मकरोंनिंयां में पुस्तकालयों में किताबों की उपादेयता पर संगोष्ठी आयोजित की गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री संतोष श्रीवास्तव “विद्यार्थी” के निवास पर उनके पुस्तकालय में रखी पुस्तकों का पूजन एवं स्वाध्याय किया गया।
प्रमुख वक्ता अखिल भारतीय साहित्य सृजन मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य पंडित महेश दत्त त्रिपाठी ने अपनें चर्चित काव्य-ग्रंथ “सोंधी-माटी” में वर्णित रचना “किताबें” सुनाते हुए कहा कि किताबें ही सूरज हैं,चांद हैं,दीपक हैं,जुगनूं हैं। पुस्तकें हमसे बात करती हैं।
आज स्कूल कालेजों में पुस्तकालय हैं,पर वे क्रियाशील नहीं हैं।यह चिंता का विषय है। शिक्षाविद त्रिपाठी ने कहा कि पुस्तकें मानव सभ्यता के जीवंत होनें का प्रमाण हैं।उन्होंने संत तुलसीदास की रामचरितमानस, महर्षि वाल्मीकि की रामायण, सद्गुरु कबीर की साखी,शब्द,रहेंगी,वेदव्यास का महाभारत, गुरु नानक देव का गुरुग्रंथ साहेब जैसे धार्मिक ग्रंथों का उल्लेख करते हुए कहा कि सत्य,प्रेम,करुणा की त्रिमूर्ति आचार्य विनोबा भावे की गीता,ओशो रजनीश की पुस्तक ओंम मणि पद्मेहुम जैसे ऐतिहासिक ग्रंथ माव जीवन को सफल बनानें प्रेरणास्पद हैं।
संतोष श्रीवास्तव “विद्यार्थी” ने कहा कि “जीवन में मुक्ति सिद्धि दाता पुस्तकें ही हैं।जिनमें महापुरुषों की जीवन गाथा के साथ ही वीरों की शौर्य गाथा से हम सबका परिचय कराती हैं।
पत्रकार काशीराम रायकवार नें कहा कि पुस्तकें सच्ची पथ प्रदर्शक हैं। अधिवक्ता भूपेन्द्र राठौर ने कहा कि हमें पुस्तकों के संसार से जुड़ना जरुरी है।रामलखन श्रीवास्तव ने कहा कि पुस्तकों का स्वरुप व्यापक एवं शाश्वत होता है।कृष्ण कुमार राय ने कहा कि पुस्तकें अतीत,वर्तमान और स्वर्णिम भविष्य की साक्षी हैं।
संगोष्ठी में पुस्तकालय प्रेमी आशीष आठिया,मुन्नालाल रजक,इंद्रेश भार्गव, कृष्ण कुमार राय,रामलखन श्रीवास्तव, भूपेन्द्र राठौर, संतोष श्रीवास्तव “विद्यार्थी”,सुरेंद्र कुमार शुक्ला,एडव्होकेट संकेत श्रीवास्तव ,साहित्यकार महेश दत्त त्रिपाठी आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
आभार सुरेंद्र शुक्ला ने व्यक्त किया।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
