लघुकथा : समर्पण – राजलक्ष्मी पाण्डेय’राज’ अम्बिकापुर

लघुकथा

समर्पण

मनमोहक प्राकृतिक छटा से आच्छादित खूबसूरत प्रकृति का अद्भुत श्रृंगार घुमावदार घाटियाँ बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर रहीं थीं ।इन नयनाभिराम दृश्यों को निहारती हुए उनकी पिछली सीट पर बैठे चर्चा करते हुए हम अंततः छत्तीसगढ़ के शिमला मैनपाट के मुख्यमंत्री कन्या विवाह कार्यक्रम स्थल में पहुंच गए।
गाङी से उतरकर निशा मिश्रा मैम विवाह एवं सामान की व्यवस्था देखने लगीं।योजना अंतर्गत 18वर्ष से अधिक आयु की गरीब कन्या का विवाह संपन्न होना था।सच कहूँ तो विवाह हेतु माँ बाप के आर्थिक कठिनाई ,फिजूलखर्ची और दहेज जैसी कुप्रथाओं को रोकने का सशक्त माध्यम और एक सफल योजना है यह जिसमें शामिल होने का सौभाग्य मुझे भी मिला।
इसे यहाँ रखो देखो जमा कर रखना कहीं गिर ना जाए….कर्मचारियों को हिदायत देती हुई मिश्रा मैम खुद भी सामान जमाती हुई नीली साङी में बेहद खूबसूरत नजर आ रहीं थीं।
मैम सामान तो बहुत मजबूत और बहुत ही बढ़िया है।अलमारी एवं बक्सा दबाकर देखते हुए एक अन्य अधिकारी ने कहा।
हाँ सर आलमारी, बक्से ,बरतन, गद्दे, चादर ,तकिया गहने ,शादी के जोङे कपङे, जूते और अन्य सभी सामान सब बहुत अच्छे हैं हमारे विवाह जोङों के लिए… मुस्कुराते हुए मैम ने कहा।
पूरे वैवाहिक स्थल की साफ सफाई सभी कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करने के बाद भी सामान व्यवस्थित करने से लेकर स्वागत की तैयारियों में व्यस्त लगातार काम करते हुए थककर कुछ देर भी न बैठना जैसे मिश्रा मैम की आदतों में शामिल था।जिला कार्यक्रम अधिकारी होने का तनिक भी अभिमान नहीं था चेहरे पर ।जो भी जिम्मेदारी उन्हें दी जातीं थी वह उन्हें अपनी कार्य कुशलता से पूर्ण करती थीं तभी तो वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उनके कार्य की सराहना की जाती थी।
मेरी प्रेरणा स्त्रोत मेरी मार्गदर्शक बहुत कुछ सीखती आई हूँ इनसे।ठंड का मौसम और दौङभाग पसीने की कुछ बूँदें छलक आईं उनके माथे पर ।
मैम लिजिए पानी पी लिजिये …पानी का बोतल आगे बढ़ाते हुए मैंने कहा।
अरे रूक जा बेटा इतना काम पङा है ….दो घूँट पानी पीकर बोतल वापस करते हुए उन्होंने कहा।सजा हुआ मंडप हवन कुंड, आम की लकङी,तेल,मिठाई के पैकेट,फल सजकर बैठे हुए जोङे।बहुत ही हर्षोउल्लास का सुखद वातावरण।
सभी को पानी पिलाओ भई प्यास लग रही होगी सबको..पानी का बोतल कहाँ रखा हुआ है सभी जोङों तक पहुँचाओ जल्दी।
सभी जोङों तक पानी पहुंचाकर दिया जाने लगा।लाल चुनरी सफेद कुर्ते पाजामे में सजे जोङे पंडित जी के मंत्रोच्चार ,पादरी के प्रार्थना और सफेद जोङों में सजे हुए क्रिश्चियन जोङे पंडाल की शोभा बढ़ा रहे थे।खाने का पैकेट सभी को वितरित किया जा रहा था।
मुख्यमंत्रीजी का आगमन हुआ ।फूलों और टीकों से सजा हुआ आरती का थाल ,पीला अक्षत, फूलों की पंखुडियों और आत्मविश्वास से टीका लगाकर दृढ निश्चयी मुस्कान के साथ जुङे हाथ महिला एवं बाल विकास की ओर से सभी अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान करती हुईं कितनी निश्चिंत दिखाई दे रहीं थीं ।
विवाह सफलता पूर्वक संपन्न कराने के बाद उन्होंने अपने कर्मचारियों से कहा…
आइए सभी साथ में बैठकर चाय पीते हैं।सभी गोल घेरे में बैठ गए।जलता हुआ अलाव और सबके साथ चाय की चुस्की लेते हुए उन्होंने कहा …सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद आप सभी ने बहुत मेहनत की ।आप सबकी वजह से कार्यक्रम सफल रहा।
मैडम जी यह तो आपका मार्गदर्शन है जिसकी वजह से हम यह कार्य अच्छे से पूर्ण कर पाए।चहकती हुई एक अधिकारी मैडम ने कहा ।सुनकर सबके चेहरे पर मुस्कान तैर उठी लगा सबकी थकान मिट गई हो।
क्या करूँ कार्य को व्यवस्थित एवं सुचारू रूप से करने के लिए कभी-कभार डांट भी देती हूँ आप लोगों को,मेरी किसी से कोई दुश्मनी थोङे ना है…अपने शब्दों में जोर देती हुई अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण लिए अपनेपन से भरी बातें कहे जा रहीं थीं और मैं उनकी बातें सुनते हुए नतमस्तक उन्हें अपलक निहारे जा रही थी।

राजलक्ष्मी पाण्डेय’राज’
अम्बिकापुर

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