

क्यों आते हो प्रलोभन में
हो रही दुर्दशा मानव की मानवता को भूल रहे।
धर्म परायण देश हमारा यह सत्यता को भूल रहे।।
कलमस और कटुता ने आज डाला ऐसा डेरा है।
जाग जाओ सपने से जब हि जागो तभी सवेरा है।।
कुटिलता का वास हो गया आज तुम्हारे अंतर्मन में।
सपना है यह भूल जाओ क्यों आते हो प्रलोभन में।।
इस पाश्चात्य संस्कृति का तब ही तो दिवाला निकलेगा।
सभी भारतवासी जाग जाएं हर एक युवा बदलेगा।।
कब तक यूं अपनों में रहकर बीज द्रोह के बोएंगे।
फिर वह दिन भी दूर नहीं जब खून के आंसू रोएंगे।।
भारत के वीरों जाग उठो है सिंह सा साहस तन में।
सपना है यह भूल जाओ क्यों आते हो प्रलोभन में।।
चंद्रशेखर व भगत सिंह सुखदेव राज से वीर बनो।
वीर बनो महाराणा और चेतक से शमशीर बनो।।
नहीं समर्पित अवनी को तो किसका तुम्हें सोच रहेगा।
पन्नाधाय न बन सके तो जीवन भर संकोच रहेगा।।
अनिल सपने से न जाग पाए तो खाक किए युवापन में।
सपना है यह भूल जाओ क्यों आते हो प्रलोभन मे,,,,,,,
–अनिल विद्यार्थी (जख़्मी)
ग्राम -सिमथरा भांडेर दतिया

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
