कलम के जादूगर थे मुंशी प्रेमचंद जी – आचार्य पंडित महेश त्रिपाठी

कलम के जादूगर थे मुंशी प्रेमचंद जी – आचार्य पंडित महेश त्रिपाठी

सागर।
कथा एवं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती अखिल भारतीय साहित्य सृजन मंच ने कालजई रचनाकार प्रेमचंद पर आयोजित की इस अवसर पर साहित्यकार आचार्य पंडित महेश दत्त त्रिपाठी राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य सृजन मंच ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने अपने 36 वर्षों के साहित्यिक जीवन में करीब 4 नाटक 300 कहानियां एक दर्जन उपन्यास और निबंध ओं के साथ दुनिया के विद्वान लेखकों की कृतियों का हिंदी में सार्थक अनुवाद किया प्रख्यात उपन्यासकार सरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट की उपाधि दी आजादी के आंदोलन में उनकी पत्रकारिता अंग्रेज सरकार के विरुद्ध करती थी उनकी रचनाएं अद्भुत और कालजई है उनकी विद्वत्ता पर प्रकाश डालते हुए भारत गौरव सम्मान विजेता आचार्य महेश त्रिपाठी ने कहा कि उनके शब्दों में इतना जादू था कि देश काल की सीमाएं समझ नहीं पाए उन्होंने हिंदी कथा नित्य के क्षेत्र में शिल्पा को नया आयाम दे कर गरीब और मध्यम वर्गों पर अपनी चिंता प्रकट की संजय मिश्रा ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद मानवता के सच्चे पोषक और प्रकृति चित्रण के चितेरे थे गोरखपुर में प्रेमचंद साहित्य संस्थान के विलेख और उनकी प्रतिमा जीवंत रूप में विद्यमान है शिक्षक राजेंद्र सोनी ने कहा कि वे राष्ट्रीयता एवं भारतीयता के लेखक थे संजय शर्मा ने संत तुलसीदास प्रेमचंद को एक राय का प्रतीक बताया कि अगर साहित्यकार ने कहा कि प्रेमचंद की कहानी सवा सेर गेहूं ठाकुर का कुआं में दलित और पिछड़े वर्ग की पीड़ा का जीवन चित्र त्रिपाठी ने कहा कि उनका कर्मभूमि उपन्यास महात्मा गांधी के सत्याग्रह और अहिंसा समाज की प्रतिध्वनि है राम बिहारी ने कहा कि प्रेमचंद के साहित्य में मजदूरों की व्यथा गरीबी भुखमरी लाचारी किसानों का कष्ट में जीवन और स्त्री विमर्श का चित्रण है ।
आभार दामोदर अग्निहोत्री ने व्यक्त किया।

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