

आशुतोष में विज्ञान और काव्य का संतुलन मौजूद – प्रो.
विनोद दीक्षित
जब तक समाज में रचनात्मकता रहेगी,सृजन चलता रहेगा – आशीष ज्योतिषी
जहां शब्दों की सीमाएं समाप्त होती हैं वहीं से आशुतोष की कविता आरंभ होती है – डॉ.सोहगौरा
आशुतोष की कविताओं में है कविता का युवा स्वर – डॉ (सुश्री) शरद सिंह
काव्य संग्रह एहसासों की कश्तियाॅ॑ का हुआ विमोचन
सागर।
डॉ.हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में विज्ञान संकाय के संस्कारधानी जबलपुर निवासी युवा छात्र आशुतोष मिश्रा के प्रथम काव्य -संग्रह “एहसासों की कश्तियाॅ॑” का विमोचन और उस पर समीक्षात्मक चर्चा का गरिमामय कार्यक्रम रविवार को पं.ज्वालाप्रसाद ज्योतिषी इंस्टीट्यूट में संपन्न हुआ। श्यामलम् और पाठक मंच की सहभागिता में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सागर विवि के फार्मेसी विभाग के पूर्व अध्यक्ष वैज्ञानिक प्रो.विनोद दीक्षित ने ए आई जनरेटेड कविता एहसासों की कश्तियाँ का पाठ कर सभागार को हतप्रभ कर दिया। साथ ही उन्होंने चैट जी पी टी और लेखकीय रचनात्मकता के मध्य उठ रहे द्वंद को रेखांकित किया।उन्होंने कहा कि आशुतोष में विज्ञान और काव्य का संतुलन देखने को मिलता है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन सागर इकाई के अध्यक्ष आशीष ज्योतिषी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि जब तक समाज में रचनात्मकता रहेगी , सृजन चलता रहेगा आर्टिफिसियल इंटेलिजेन्स हमारा कुछ नहीं विगाड़ सकता है। आशुतोष की रचनाओ में युवाओं सा जोश है, जल सी तरलता है, जो मानवीय अहसासों को छूती हैं।
विशिष्टअतिथि डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के ज्वाइंट रजिस्ट्रार डॉ. संतोष सोहगौरा ने अपने वक्तव्य में कहा कि जहां शब्दों की सीमा समाप्त होती है वहीं से आशुतोष की कविता आरंभ होती है उन्होंने पुस्तक “एहसासों की कश्तियॉ॑” की व्याख्या करते हुए कहा –
“हर एहसास है अमिट है, हर एहसास एक जिंदगी है,
हर एहसास एक कश्ती है, हर एहसास एक कविता है।।
उन्होंने कहा आशुतोष की कविताओं में समय का एक बोध भी है, उसकी नब्ज पकड़कर उसके पार और उससे परे जाने का एक दर्शन भी है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ (सुश्री) शरद सिंह ने अपने समीक्षात्मक उद्बोधन में कहा कि कवि आशुतोष मिश्रा का फलक बड़ा है। उनकी दृष्टि निजी अनुभवों से लेकर सामाजिक परिदृश्य तक विस्तार पा रही है। ‘‘एहसासों की कश्तियां’’ वह युवा स्वर का काव्य संग्रह है जिसे युवा तो पसंद करेंगे ही, साथ ही हर आयुवर्ग के पाठक इन कविताओं से गुज़र कर अपनी-अपनी स्मृतियों को ताज़ा कर सकते हैं।
पुस्तक की समीक्षा करते हुए कवि और साहित्यकार अंबिका यादव ने कहा कि इसमें अहसास है, खुश्बू है, हर्ष है, विषाद है, मां है, बचपन है, पुरातन है, अद्यतन है, सपना है, साहस है, संवेदना है। एक तरह से देखा जाए तो आशुतोष की रचनाओं में जीवन के सभी रंगों का समावेश है। इस लिहाज से ये कृति अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।
लेखकीय वक्तव्य में युवा कवि आशुतोष मिश्रा ने कहा कि जगत में ईश्वर ने मनुष्य को ही इस तरह से रचा है कि वो अपने भावों को अभिव्यक्त कर सकता है। ये अनूठी शक्ति सिर्फ मनुष्य के पास ही है। हम अपने बालपन में तो सभी मनोभाव सहज ही प्रकट कर देते थे लेकिन उम्र बढ़ने के साथ दुनिया की बातों में आकर उन्हें छिपाने में लग जाते हैं। उन अहसासों को जैसे ही आप शब्द देते हैं कविता फूट पड़ती है। उन्होंने अपने संग्रह से द्रोपदी पर केंद्रित कविता का सस्वर वाचन भी किया।
अपने विद्यार्थी के संदर्भ में उदगार व्यक्त करते हुए सागर विश्वविद्यालय की डीन ऑफ़ बायोलॉजिकल साइंस प्रो. वर्षा शर्मा ने कहा आशुतोष प्रतिभाशाली, सिन्सियर, ऑबिडियेंट और अनुशासित छात्र है। अहसास की कश्तियाँ काव्य कृति इसके संवेदनशील मन और मनोभावों की सुंदर प्रस्तुति है।
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण से हुई। कवि पूरनसिंह राजपूत ने सरस्वती वंदना की। अतिथि स्वागत कपिल बैसाखिया,हरी नारायण शुक्ला, उषा वाजपेयी , डॉ राकेश शर्मा, डॉ. आर आर पाण्डेय और डॉ. नलिन जैन ने किया। श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने कार्यक्रम परिचय और पाठक मंच केंद्र संयोजक आर के तिवारी ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम का सुचारू और सराहनीय संचालन रंगकर्मी शुभम उपाध्याय ने किया और स्वर संगम अध्यक्ष हरीसिंह ठाकुर ने आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर डॉ. आशीष द्विवेदी,अंकुर मिश्रा, रमेश दुबे,ममता भूरिया, कवि कुमार सागर, ज ला प्रभाकर,वृंदावन राय, डॉ. गजाधर सागर, डॉ.हरिमोहन गुप्ता, डॉ सरोज गुप्ता, विकास जैन,संस्कृति जैन,जगदीश लारिया, प्रतीक्षा पटनायक, भाग्यश्री, चिन्मयी,सिमरन, अनीशा,उदय खेर, अंबर चतुर्वेदी, आमीन अली, आदर्श दुबे,मुकेश तिवारी, सी एल कंवल,बी पी उपाध्याय,टी आर त्रिपाठी, राधिका साहू, प्रशांत उपाध्याय की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
