

श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर में जारी श्रीमद्भागवत कथा षष्ठम दिवस
भगवान श्रीकृष्ण के हाथों मरकर राक्षसों को मुक्ति मिली : पं मधुकर व्यास
इटारसी।
पवित्र पावन श्रावण माह के बाद पुरुषोत्तम मास में श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर में जारी संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठम दिवस रविवार को कथाव्यास पंडित मधुकर व्यास ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने अपने बाल काल मे बहुत अद्भुत लीला की है। मथुरा के राजा जो रिश्ते में कृष्ण के मामा लगते थे, उन्होंने कृष्ण को बचपन में मारने के बहुत प्रयास किए हैं। कई प्रकार के राक्षसों को भिजवाया लेकिन राक्षस कृष्ण को मारने की वजह खुद ही मर गए। हालांकि श्री कृष्ण के हाथों मरने से उन्हें स्वर्ग प्राप्त हुआ। भगवान श्री कृष्ण को जब पता चला की ब्रज के गोपियां पानी के लिए बरसात आने हेतु प्रतिवर्ष इंद्र की पूजा करते हैं तो उन्होंने इंद्र की पूजा बंद करवा दी। 7 दिनों तक भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पूजा करायी। जब इंद्रदेव को पता चला तब उन्होंने ब्रज मंडल में तेज आंधी और तूफान के साथ बरसात करवाई। भगवान श्री कृष्ण ने अपनी एक छोटी उंगली से गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और पर्वत के नीचे पूरे ब्रजमंडल के गोप गोपियों को परिवार सहित निवास दे दिया। जब बरसात और तूफान आंधी बंद हुए और इंद्र का अहंकार समाप्त हुआ, तब भगवान श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली से नीचे उतारा। रविवार को द्वारकाधीश मंदिर परिसर में कथा व्यास मधुकर शास्त्री व्यास में गोवर्धन पूजा की महत्ता बताई और गोवर्धन पूजा के पूरे रहस्य उपस्थित जनसमुदाय को बताएं। आचार्य श्री ब्यास ने रुक्मणी विवाह की कथा का प्रसंग भी मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया। कथा को विस्तार देते हुए बताया कि रुक्मणी का विवाह भगवान श्री कृष्ण के साथ किस तरह विदर्भ देश के राजा भीष्मक थे, उनकी पुत्री रुकमणी थी और पुत्र का नाम रुक्मी था। रुक्मी अपनी बहन का विवाह शिशुपाल के साथ कराना चाहता था। रुक्मणी ने एक पाती कृष्ण को भेजी और विवाह की इच्छा व्यक्त की। भगवान श्रीकृष्ण रथ पर बैठकर विदर्भा आए और जब शिशुपाल रुक्मणी से विवाह करने आया था। उसी समय रुकमणी का हरण किया और द्वारिका ले जाकर रुक्मणी के साथ विवाह किया। शिशुपाल के बध की कथा भी सुनाई। गोवर्धन पूजा के अवसर पर भगवान को छप्पन भोग का प्रसाद लगाया गया जो सभी को वितरित किया गया।
कथा की शुरुआत में यजमान प्रमोद पगारे एवं धनराज कुशवाह सहित अमित सेठ दरबार, श्रीमती अनुराधा कुशवाह, लक्ष्मीनारायण कुशवाहा, मोहनलाल कुशवाह बोरतलाई, दीपक कुशवाह, संजय देवेंद्र कुशवाह, सागर मंथन कुशवाह ने व्यासपीठ का पूजन और महाराज श्री का स्वागत किया। बता दे कि प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से 6 बजे तक कथा का श्रवण कराया जाएगा। कथा में वाद्ययंत्र ऑर्गन एवं गायन पर दीपक तिवारी, ढोलक और गायक सीताराम, मंजीरा पर दीपेंद्र दुबे संभाल रहे है। कथा के सफल आयोजन में मंदिर प्रबंधन समिति के दिनेश सैनी का महत्वपूर्ण सहयोग है।
कथा के अंत मे आरती की गयी और श्रोताओं को प्रसाद का वितरण किया गया। कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। सोमवार को कथा का समापन होगा।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
