उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद – श्रीमती श्यामा देवी गुप्ता दर्शना भोपाल

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद

प्रेमचंद जिनका बचपन का नाम धनपत राय था ।इनका जन्म वाराणसी के निकट लमही गांव में हुआ था उनकी माता का नाम आनंदी देवी और पिता का नाम मुंशी अजायबराय था।वे लमही में एक डाक मुंशी थे। प्रेमचंद जब मात्र सात वर्ष के थे तब इनकी माता एवं चौदह वर्ष की अवस्था में पिता के देहांत हो जाने के बाद उनका प्रारंभिक जीवन काफी संघर्षमय रहा।मात्र तेरह वर्ष की आयु में उन्होंने उर्दू का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। सन 18 98 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए,। नौकरी के साथ ही उन्होंने पढ़ाई जारी रखी 1940 में उन्होंने अंग्रेजी दर्शन ,फारसी और इतिहास लेकर इंटर पास कर दिया और सन 1919 में b.a. पास करने के बाद शिक्षा विभाग में इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए।
इनका पहला विवाह 15 वर्ष की आयु में हुआ। पर सफल नहीं होने के पश्चात 1906 में दूसरा विवाह अपनी प्रगतिशील परंपरा के अनुरूप बाल विधवा शिवरानी देवी से हुआ। इनकी तीन संताने हुई श्रीपत राय ,अमृत राय और कमला देवी।
1910 में उनकी रचना सोजे वतन (राष्ट्र का विलाप) जिसका काफी विरोध हुआ। कलेक्टर ने हिदायत दी की यदि अब लिखा तो जेल भेज दिए जाओगे। इस समय तक प्रेमचंद धनपत राय नाम से लिखते थे। उर्दू में प्रकाशित होने वाली पत्रिका के संपादक और उनके अभिन्न मित्र दया नारायण निगम ने उन्हें प्रेमचंद नाम से लिखने की सलाह दी ।उसके बाद वे प्रेमचंद के नाम से ही लिखने लगे। उन्होंने प्रारंभिक लेखन जमाना पत्रिका में किया।
जीवन के अंतिम दिनों में वह गंभीर रूप से बीमार पड़े। उनका उपन्यास मंगलसूत्र पूरा नहीं हो सका और लंबी बीमारी के बाद 8 अक्टूबर 1936 को उनका निधन हो गया उनका अंतिम उपन्यास मंगलसूत्र उनके पुत्र अमृतलाल ने पूरा किया।

प्रेमचंद आधुनिक हिंदी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं यूंँ तो साहित्यिक जीवन 1901 से हो चुका था पर इनकी हिंदी कहानी सरस्वती पत्रिका में 1915 में सौत नाम से प्रकाशित हुई। अंतिम कहानी कफन नाम से प्रकाशित हुई ।बीस वर्ष की इस अवधि में उनकी विभिन्न कहानियां प्रकाशित हुई। प्रेमचंद की प्रमुख कहानियों में पंच परमेश्वर, गुल्ली डंडा ,दो बैलों की कथा, ठाकुर का कुआं,नमक का दरोगा , ईदगाह ,पूस की रात,बूढ़ी काकी,आदि,-आदि.लगभग (300)
इसी तरह अनेको नाटक,, उपन्यास अनुवाद,लेख,बाल रचनाएं आदि प्रमुख हैं।
प्रेमचंद की रचनाओं में समाज सुधारक आन्दोलन, स्वाधीनता संग्राम तथा प्रगतिवादी आन्दोलनों के साथ दहेज,छुआछूत का समावेशी भावों की प्रधानता , प्रमुख रूप से पाई जाती है।
प्रेमचंद आज भी अपने साहित्य के कारण साहित्य जगत में लोकप्रिय हैं।

श्रीमती श्यामा देवी गुप्ता दर्शना
भोपाल मध्यप्रदेश

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